Published on October 29, 2025 | Views: 204
    
    लखनऊ:- राज्य में अवस्थापना विकास को गति देने के उद्देश्य से इन्वेस्ट यूपी ने नीति आयोग, प्रमुख सरकारी विभागों और उद्योग विशेषज्ञों के सहयोग से लखनऊ में " सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पहल एवं संभावनाएं" विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश में अवसंरचना, औद्योगिक विकास और सामाजिक क्षेत्रों में पीपीपी के नए अवसरों को सुलभ बनाना था।
कार्यक्रम में मुख्य वक्तव्य देते हुए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री दीपक कुमार ने माननीय प्रधानमंत्री के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य और उत्तर प्रदेश के $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के विज़न को साकार करने में पीपीपी की केंद्रीय भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु क्षमता निर्माण, नीतिगत नवाचार और संस्थागत तत्परता की आवश्यकता पर बल दिया। श्री कुमार ने इन्वेस्ट यूपी द्वारा समर्पित पीपीपी सेल की स्थापना और निवेश मित्र पोर्टल को सशक्त बनाने के प्रयासों की सराहना की, जिसे भारत के प्रमुख सिंगल विंडो सिस्टम्स में गिना जाता है। आगामी ‘निवेश मित्र 3.0’ संस्करण निवेशकों को और अधिक सुगमता प्रदान करेगा।
मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू ने पीपीपी के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक मजबूत और सहयोगात्मक पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता जताई। उन्होंने विभागों से आग्रह किया कि वे हितधारकों के साथ सक्रिय संवाद करें और व्यवहारिक परियोजनाओं को प्राथमिकता दें।
अपर मुख्य सचिव (अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास) श्री आलोक कुमार ने उत्तर प्रदेश में हो रहे तीव्र अवस्थापना परिवर्तन को रेखांकित किया, जिसमें एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे और सड़क नेटवर्क के विस्तार में राज्य की अग्रणी भूमिका रही है। उन्होंने राज्य के अनुकूल कारोबारी माहौल, जनसांख्यिकीय लाभ और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता को पीपीपी परियोजनाओं के विस्तार के प्रमुख कारक बताया।
श्री पार्थ सारथी रेड्डी चेवुरु, नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक ने कहा कि पीपीपी मॉडल एक बेहतर और गतिशील साधन है, जहाँ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र मिलकर सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
थीमैटिक सत्र – उत्तर प्रदेश में सशक्त पीपीपी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण 
टीसीई के सीईओ एवं एमडी श्री अमित शर्मा ने परियोजना पहचान को बाजार मांग और उभरती अवसंरचना प्राथमिकताओं के अनुरूप करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भारत स्मॉल रिएक्टर, रेलवे आधुनिकीकरण, रैपिड रेल सिस्टम, लॉजिस्टिक्स हब और रोपवे परियोजनाओं जैसे उदाहरणों के माध्यम से क्रियान्वयन की व्यवहार्यता को सफलता का मूल बताया।
राइट्स के कार्यकारी निदेशक श्री प्रदीप त्यागी ने दिल्ली मेट्रो और राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं सहित विभिन्न राज्यों में चल रही पीपीपी परियोजनाओं और अनुबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि परियोजना का गहन मूल्यांकन सर्वोत्तम परिणामों और श्रेष्ठ प्रथाओं को अपनाने के लिए आवश्यक है।
ब्रेकआउट सत्र – सेक्टोरल पीपीपी अवसर और आगे की दिशा इस सत्र में नवाचारी पीपीपी पहलों ,जोखिम न्यूनीकरण, अनुबंध संचालन और पीएम गति शक्ति के साथ एकीकरण पर चर्चा हुई, जिससे परियोजनाओं की रीयल-टाइम निगरानी सुनिश्चित की जा सके। चर्चा का केंद्र बिंदु अवस्थापना, औद्योगिक विकास, लॉजिस्टिक्स और परिवहन क्षेत्रों में पीपीपी अवसर रहा, जिसमें विभिन्न विभागों और हितधारकों ने भाग लिया। परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन हेतु संस्थागत सुदृढ़ीकरण और क्षमता निर्माण के महत्व पर भी बल दिया गया।
ब्रेकआउट सत्र 2 – पीपीपी कार्यान्वयन और क्षमता सुदृढ़ीकरण इस सत्र में उत्तर प्रदेश में पीपीपी के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण और कार्यान्वयन को मजबूत करने पर चर्चा हुई। प्रमुख विषयों में जोखिम आवंटन, अनुबंध प्रबंधन और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से परियोजना निगरानी शामिल रही। राइट्स, टीसीई और नीति आयोग के प्रतिनिधियों ने विचार साझा किए।
कार्यशाला में नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक श्री पार्थ सारथी रेड्डी चेवुरु, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री पंधारी यादव, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के प्रमुख सचिव श्री अनुराग यादव, कर्नाटक सरकार की अवसंरचना विकास विभाग की अपर सचिव श्रीमती हेफ्सिबा रानी कोरलापाटी, इन्वेस्ट यूपी के सीईओ श्री विजय किरण आनंद और एसीईओ श्री शशांक चौधरी सहित 35 से अधिक सरकारी विभागों, औद्योगिक प्राधिकरणों, विकास प्राधिकरणों और संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में नीति आयोग, डीपीआईआईटी, रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स), टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) और यूपीसीडा के विशेषज्ञों ने सफल पीपीपी मॉडल, नीति ढांचे और क्रियान्वयन रणनीतियों पर अपने विचार साझा किए।
उत्तर प्रदेश पीपीपी इकोसिस्टम को बढ़ावा देकर अवस्थापना आधारित विकास और औद्योगीकरण में राष्ट्रीय नेतृत्व की दिशा में अग्रसर है। इन्वेस्ट यूपी की सक्रिय पहल और बहु-हितधारक सहभागिता विकसित भारत @2047 की परिकल्पना के अनुरूप सहयोगात्मक विकास के एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है।
कार्यशाला का समापन इन्वेस्ट यूपी द्वारा इस प्रतिबद्धता के साथ हुई कि राज्य में सतत आर्थिक परिवर्तन, रोजगार सृजन और संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए पीपीपी को एक उत्प्रेरक के रूप में अपनाया जाएगा।
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