Published on October 22, 2025 | Views: 384
    
    गोवर्धन।।
"तेरे सब संकट कट जाए तू पूजा कर गोवर्धन की"।।
कुछ ऐसी भक्ति भावना और श्रद्धा लिए देश के कोने कोने से यहां तक की विदेश से भी गिर्राज महाराज के भक्त श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा महोत्सव में भाग लिया।
संपूर्ण बृज चौरासी क्षेत्र में गोवर्धन पूजा महोत्सव एवं अन्नकूट महोत्सव बड़े ही धूमधाम और भव्यता से मनाया गया। गोवर्धन मुखारविंद और दानघाटी मंदिर में दूध दही गंगाजल शहद पंचामृत इत्यादि से गिर्राज महाराज का अभिषेक किया गया तत्पश्चात गिरिराज जी को भव्य एवं दिव्या छप्पन भोग अर्पण किए गए। गोवर्धन में विदेशी भक्तों और गौडीय संप्रदाय के संतों ने भी डलियों में छप्पन भोग प्रसाद सजाकर गिरिराज जी की भव्य शोभा यात्रा निकाली तो वही मुकुट मुखारविंद मंदिर से भी लगभग 500 स्थानीय महिला और पुरुषों ने भव्य शोभा यात्रा निकाल कर गिर्राज महाराज को छप्पन भोग ओर अन्नकूट प्रसाद अर्पण किया।
क्यों होती है गोवर्धन पूजा=
जब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा पर रोक लगाई तो इंद्र ने क्रोधित होकर ब्रज को बहाने के आदेश दे दिया तब भगवान श्री कृष्ण ने 7 दिन और साथ रात गिरिराज महाराज पर्वत को अपनी कन्नी उंगली पर धारण कर बृजवासियों की रक्षा की थी जिसके बाद बृजवासियों ने घरों में अन्नकूट भोग और 56 प्रकार के व्यंजन तैयार कर गोवर्धन महाराज का भोग लगाया था स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गिर्राज पर्वत में समाहित होकर बृजवासियों का प्रसाद ग्रहण किया था कहते हैं "
एक रूप से पूजत है दूजे रहे पूजाय ।
सहस्त्र पूजा फैलाए के मांग मांग कर खाय "।
गोवर्धन पूजा=
गोवर्धन पूजा पर घरों में जगह-जगह गाय के गोबर से गिर्राज महाराज को सजाया जाता है भक्ति और श्रद्धा के साथ गिरिराज महाराज की पूजा अर्चना कर उन्हें कढ़ी चावल बाजरा सब्जी इत्यादि से तैयार सामग्री का भोग लगाया जाता है जिसे बृज में अन्नकूट का भोग कहा जाता है।
आज का पावन दिन हमें भगवान श्रीकृष्ण की उस दिव्य लीला की याद दिलाता है,जब उन्होंने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर व्रजवासियों की रक्षा की थी। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चा बल बाहुबल में नहीं,बल्कि श्रद्धा,विश्वास और भक्ति में होता है।
गोवर्धन पूजा का संदेश है —
“प्रकृति ही हमारी सच्ची पूजनीय है।”
जिस मिट्टी में हम जन्म लेते हैं,जो जल हमें जीवन देता है,जिन पशुओं से हमें अन्न और सहारा मिलता है — वही हमारे आराध्य हैं।
आज के दिन हम गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं,दीप जलाते हैं,अन्नकूट का भोग लगाते हैं और इस सृष्टि के हर अंश के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
भगवान कृष्ण के इस पर्व से प्रेरणा लें कि हर परिस्थिति में अपने प्रियजनों का साथ निभाना,सच्ची भक्ति और करुणा का प्रतीक है।
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