महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार को लेकर माथापच्ची जारी है, हालांकि मुख्यमंत्री पर फैसला फिलहाल लटक गया है। आज केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और महासचिव जेपी नड्डा मुंबई जाने वाले थे, लेकिन दोनों का दौरा दीपावली तक टल गया है। ऐसे में सीएम पर सस्पेंस बरकरार है। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) की सरकार को लेकर माथापच्ची जारी है। दिल्ली से लेकर मुंबई तक महाराष्ट्र में नई बीजेपी सरकार को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है। महाराष्ट्र के नए सीएम के तौर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फडनवीस का नाम रेस में काफी आगे है। पंकजा मुंडे भी सीएम पद की उम्मीदवार हैं। उधर गठबंधन को लेकर अभी भी पेंच फंसा है। एनसीपी के समर्थन को लेकर भले ही कुछ विरोध के स्वर उठे हैं, लेकिन अभी बीजेपी ने इस प्रस्ताव को पूरी तरीके से खारिज नहीं किया है। इस सिलसिले में शिवसेना के रुख को लेकर भी कुछ साफ नहीं हो पाया है। शिवसेना ने फिलहाल सीएम की कुर्सी पर दावा तो छोड़ा दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उपमुख्यमंत्री समेत कई अहम विभागों की मांग की गई है। महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी के साथ एकबार फिर अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहती है। बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहती है, लेकिन अपनी शर्तों पर। वहीं शरद पवार के बिना शर्त बीजेपी को समर्थन के ऐलान ने शिवसेना और बीजेपी के बनते रिश्ते में ट्वीस्ट ला दिया है। बीजेपी अब अपनी शर्तों पर शिवसेना के साथ दोस्ती करने पर अड़ी है। विधानसभा चुनाव से ऐन पहले शिवसेना और बीजेपी के बीच 25 साल पुराना रिश्ता तो टूट गया, लेकिन चुनाव परिणाम के गणित ने ऐसा खेल किया कि एकबार फिर दोनों के बीच दूरियां खत्म होती दिख रही हैं। चुनाव में बीजेपी को अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी तो मिली, लेकिन फिर भी वो बहुमत के जुदाई आकंड़ों से दूर रह गई, तो वहीं पिछले चुनाव से 19 सीटें ज्यादा लाकर भी शिवसेना 63 सीटों के साथ महज दूसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। शरद पवार ने बीजेपी को बाहर से बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर शिवसेना का खेल भी बिगाड़ दिया। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बीजेपी को समर्थन तो देना चाहते हैं, लेकिन उनकी कुछ शर्तों के साथ। बीजेपी और शिवसेना के बीच अभी भी बड़ी लड़ाई सीएम पद को लेकर ही है। शिवसेना अभी भी उद्धव ठाकरे को सीएम बनाना चाहती है, लेकिन एनसीपी की एंट्री ने शिवसेना की सौदेबाजी की हैसियत कम कर दी है। साथ ही शिवसेना के सामने राजनीतिक अस्तित्व बचाने की भी चुनौती है। 25 साल से गठबंधन की बड़ी पार्टी रहने के बाद पहली बार छोटी पार्टी बनने को लेकर शिवसेना सहज महसूस नहीं कर रही। ये साफ है कि अब शिवसेना शर्तें गिना तो सकती है, लेकिन मनवा नहीं सकती। बीजेपी का भी अपना गेम प्लान है, वो शिवसेना से बात करने या फिर समर्थन लेने से पहले वो मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम फैसला कर लेना चाहती है, ताकि शिवसेना के उस गेमप्लान पर पानी फेरा जा सके जिसके तहत उद्धव ठाकरे दिवंगत गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे या फिर अपने मनमाफिक शख्स को सीएम बनाने की शर्त बीजेपी के सामने न रख सकें। ऐसे में शिवसेना उपमुख्यमंत्री पद के अलावे राज्य में अहम मंत्रालय जैसे गृह और वित्त के अलावा केंद्र में एक या दो और मंत्री पद की मांग रख सकती है। शिवसेना के लिए राहत की बात ये है कि लालकृष्ण आडवाणी सहित बीजेपी के कई आला नेता शिवसेना के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में हैं। संघ भी शिवसेना के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में है। संघ को एनसीपी से समर्थन लेने पर एतराज है। साफ है, महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर फिलहाल तस्वीर साफ होती नजर नहीं आ रही