लोकसभा चुनाव में अपनी ही जमीन से बेदखल हुई बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) अब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो सकती है! मायावती की बीएसपी पर ये खतरा पहले से ही मंडरा रहा था, अब हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय पार्टी खोने का खतरा और गहरा गया है। कुछ साल पहले तक जो बीएसपी उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज थी, उसे लोकसभा चुनाव में उसी उत्तर प्रदेश में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव के फौरन बाद चुनाव आयोग ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से पूछा था कि क्यों ना बीएसपी के राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया जाए। उस वक्त मायावती ने चुनाव आयोग से महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव तक फैसला रोकने की गुहार लगाई थी। चुनाव आयोग ने मायावती की गुहार मान भी ली थी। लेकिन जिस आधार पर बीएसपी ने चुनाव आयोग से फैसला रोकने की गुहार लगाई थी, वो आधार भी अब खत्म हो गया है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए बीएसपी को हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कम से कम दो सीट हासिल करना ज़रूरी था। लेकिन दलितों की पैरोकारी करनेवाली बीएसपी इसमें भी नाकाम रही। हरियाणा में बीएसपी ने सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे, जबकि महाराष्ट्र की 288 में से 260 सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे थे। महाराष्ट्र में बीएसपी को एक भी सीट नहीं मिली है, जबकि हरियाणा में उसे बमुश्किल एक सीट मिली है। हरियाणा में पार्टी की मौजूदगी का अहसास टेकचंद शर्मा करा रहे हैं, जिन्होंने पृथला में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के नैनपाल रावत को मात्र एक हजार एक सौ उन्यासी वोटों से हराया है। दरअसल राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए किसी राजनीतिक दल को तीन में से कम से कम एक शर्त पूरी करनी ज़रूरी है... - पहली शर्त है आखिरी लोकसभा चुनाव में तीन राज्यों में 2 फीसदी सीट हासिल करना। लोकसभा में 2 फीसदी वोट का मतलब है 11 सीटें। - दूसरा विकल्प है कि लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में पार्टी को वैध वोटों का कम से कम 6 फीसदी हिस्सा हासिल हो और वो भी चार राज्यों में, साथ ही लोकसभा चुनाव में कम से कम 4 सीटें हासिल करना ज़रूरी है। - राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए तीसरा विकल्प है कम से कम चार राज्यों में राज्य स्तर की पार्टी होने का दर्जा मिलना। इस स्थिति में भी किसी दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। बीएसपी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बचाने के लिए इनमें से कोई भी शर्त पूरा नहीं कर रही और अब इस बारे में चुनाव आयोग को फिर से विचार करना है। हो सकता है कि मायावती एक बार फिर जम्मू-कश्मीर और झारखंड में होनेवाले विधानसभा चुनाव तक इंतज़ार करने की दलील दें। हो सकता है कि आयोग उनकी बात मान भी ले, लेकिन इतना तय है कि फिलहाल बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी होने के लिए ज़रूरी पैमाने से दूर है।