Published on October 14, 2025 | Views: 333
    
    मथुरा के राधाकुंड में अहोई अष्टमी की अर्धरात्रि जैसे ही घड़ी ने 12 बजाए राधाकुंड की लहरों में आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा। देश के कोने-कोने से आए निसंतान दंपतियों ने राधाश्याम कुंड में स्नान किया और राधा रानी से मातृत्व का वरदान मांगा। किसी ने दीप जलाकर प्रार्थना की तो किसी ने जल में डुबकी लगाई। राधे-राधे और जयश्री राधे के उद्घोषों से वातावरण गूंज उठा। अहोई अष्टमी का यह स्नान हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात्रि में होता है। मान्यता है कि इस घड़ी राधा रानी स्वयं राधा श्यामकुंड में विराजती हैं और जो श्रद्धालु उस समय जल में स्नान करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। राधाकुंड की गलियां सोमवार की शाम से ही विवाहित जोड़ों से भरने लगीं। किसी के होठों पर प्रार्थना थी तो किसी की आंखों में प्रतीक्षा। रात गहराने के साथ-साथ दीपों की रोशनी घाटों पर झिलमिलाने लगी। जैसे ही मध्यरात्रि 12 बजने का समय आया, भीड़ एक साथ उठी। माइक से आवाज गूंजी बोल राधारानी की जय और हजारों दंपतियों ने एक साथ डुबकी लगाई। जल में उतरते ही लगा जैसे हर लहर कृपा बनकर उतर आई हो
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