कालेधन को लेकर मच गया है कोहराम। अब तक कांग्रेस ...सरकार पर ब्लैकमनी के नाम पर ब्लैकमेल करने का इल्जाम लगा रही थी अब आवाज पार्टी के अंदर से उठने लगी है। सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को खत लिखकर ब्लैक मनी रखने वालों के नाम बताने की मांग की है। जेठमलानी का दावा है कि सरकार नाम नहीं बताने के लिए जिस DTAT यानी डबल टैक्स अवायडेंस ट्रीटी का हवाला दे रही है, वो करार सरकार को नाम बताने से नहीं रोकता। डीटीएटी का इससे कोई वास्ता नहीं, क्योंकि हम एक ही आय पर भारत और जर्मन सरकार को टैक्स देने वाले लोगों से नहीं लड़ रहे। डीटीएटी सरकार को इन लोगों का नाम बताने से नहीं रोकता है। जर्मनी ने कभी नहीं कहा है कि नाम बताने से डीटीएटी संधि का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आपने मुझे 18 ब्लैक मनी वालों के नाम बताए। लेकिन इसमें हसन अली जैसे बड़े लोगों का नाम नहीं होना बताता है कि सरकार असली अपराधियों की पहचान छुपाना चाहती है। जब आप राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे तो जर्मनी ने कहा था कि वह बिना किसी शर्त के ब्लैक मनी वालों के नाम किसी भी दोस्त देश के साथ साझा करना चाहता है। सरकार में शामिल किसी ने भी इसपर कोई पहल नहीं की। राज्यसभा में विपक्ष के नेता होने के नाते आपकी और लोकसभा में विपक्ष की नेता होने के नाते सुषमा जी की जिम्मेदारी बनती थी कि जर्मनी से संपर्क कर उन नामों का खुलासा किया जाता। आपके रोज आ रहे विपरीत बयानों से साफ है कि आप दुविधा और भ्रम में हैं। ऐसा लगता है कि आपको यूनाइटेड कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन के बारे में जानकारी नहीं है, जिस पर स्विट्जरलैंड और जर्मनी दोनों ने साइन किए हैं। खत के आखिर में जेठमलानी ने खुद को बीजेपी का निकाला गया मेंबर बताया है। जेठमलानी के अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ने भी वित्त मंत्री से चुनिंदा नाम बताने की जगह समूची लिस्ट जारी की है। इसके अलावा, आप नेता संजय सिंह ने भी ब्लैक मनी वालों के नाम नहीं बताने पर सवाल उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सोमवार को डिनर में ऐलान किया था कि जिन लोगों के खिलाफ जांच पूरी हो गई है उनका नाम सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताएगी। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 800में से136 नाम सरकार जारी करेगी। अब सरकार 27अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पूरक शपथ पत्र दायर करने वाली है, जिसमें कुछ नामों को सीलबंद लिफाफे में अदालत को सौंपा जाएगा। लेकिन अब जिस तरह कालेधन के मुद्दे पर पार्टी बंटी नजर आ रही है उसके बाद सारे नाम बताने के लिए वित्त मंत्री पर दबाव बढ़ना लाजिमी है।