ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ भाषा के जाने-माने साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वे 82 साल के थे। कल बेंगलुरु के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्हें किडनी की बीमारी थी और वो लगातार डायलिसीस पर थी। अनंतमूर्ति कन्नड़ साहित्य के नए आंदोलन 'नव्या के प्रणेता माने जाते हैं। अनंतमूर्ति को 1994 में कन्नड़ साहित्य में उनके योगदान के लिए पुरस्कार ज्ञानपीठ से नवाजा गया। 1998 में भारत सरकार ने उन्हें नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया। उनकी सबसे मशहूर और सबसे विवादित किताब 1970 के दशक में कन्नड़ में लिखी गई संस्कार रही। उनकी अन्य मशहूर कृतियों में भव, भारतीपुर, बारा और अवस्थ शामिल हैं। हाल ही में वह नरेंद्र मोदी की आलोचना को लेकर सुर्खियों में रहे है। उन्होंने धमकी दी थी कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो वह देश छोड़ देंगे।