बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लेटर लिखा है। इसमें कहा गया है कि सरकार राम जन्मभूमि पर एक अध्या देश ला सकता है और इस तरह एक प्रतिष्ठित निकाय के नेताओं को जमीन सौंपने के लिए कानून पारित कर सकती है। खासतौर पर उसे जो अगम शास्त्र के निपुण है। उन्हें इस जमीन पर मंदिर निर्माण के निर्देश दे सकती है। दोवेदारों को दिया जा सकता है मुआवजा - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्वामी ने लेटर में आगे लिखा, "मौजूदा दावेदारों को जमीन की जगह उनके दावे के नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा सकता है।" - उन्होंने यह भी लिखा, "कांग्रेस-प्रभावित वकील मामले में प्रगति रोकना चाहते हैं। इसलिए मैंने सोचा कि हमें संविधान बनाना चाहिए और कानून को हथियार बनाना चाहिए। अध्यादेश लाना चाहिए।" क्या है अगम शास्त्र? - हिन्दू धर्म के पूजा-पाठ, मंदिर निर्माण, आध्यात्मिक और अनुष्ठान के रीति-रिवाज के नियमों का संकलन है। यह संस्कृत, तमिल और ग्रंथ शास्त्रों का एक संग्रह है जिसमें मुख्य रूप से मंदिर निर्माण के तरीके, मूर्ती निर्माण के तरीके, दार्शनिक सिद्धांतों और ध्यान मुद्राओं के बारे में बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं दखल याचिकाएं - आयोध्या विवाद पर 14 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने इस दौरान सभी दखल याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ मुख्य पक्षकारों की याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाएगी। - बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचे को ढहा दिया था। अयोध्या मामले में तीन पक्षकार 1. सुुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड 2. राम लला विराजमान 3. निर्मोही अखाड़ा लोकसभा चुनाव तक सुनवाई टालने की अपील की गई थी - इस मामले की दिसंबर के पहले हफ्ते में हुई सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस केस की सुनवाई लोकसभा चुनाव तक टालने की मांग की थी। - उन्होंने कहा, "कृपया होने वाले असर को ध्यान में रखकर इस मामले की सुनवाई कीजिए। कृपया इसकी सुनवाई जुलाई 2019 में की जाए, हम यकीन दिलाते हैं कि हम किसी भी तरह से इसे और आगे नहीं बढ़ने देंगे। केवल न्याय ही नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए।" - इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "ये किस तरह की पेशकश है? आप कह रहे हैं जुलाई 2019। क्या इससे पहले मामले की सुनवाई नहीं हो सकती?" HC ने विवादित जमीन 3 हिस्सों बांटने का दिया था ऑर्डर - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित 2.77 एकड़ जमीन 3 बराबर हिस्सों में बांटने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने रामलला की मूर्ति वाली जगह रामलला विराजमान को दी। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को और बाकी हिस्सा मस्जिद निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया था।