यूपी के अमरोहा जिले में एक ही परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ स्थानीय कोर्ट ने डेथ वॉरंट जारी कर दिया है। मामले में दोषी करार दिए गए प्रेमी जोड़े (शबनम और सलीम) को फांसी पर लटकाने के लिए सीनियर जेल सुपरिंटेंडेट को अधिकृत किया गया है। दोनों फिलहाल जिला जेल में बंद हैं। इनकी ओर से डेथ पेनाल्टी लिटिगेशन क्लिनिक नाम की संस्था राष्ट्रपति के पास दया याचिका फाइल करने पर विचार कर रही है। क्या है पूरा मामला 14-15 अप्रैल 2008 की रात शबनम ने अपने ब्वॉयफ्रेंड सलीम के साथ मिल कर पिता, मां, दो भाइयों, दोनों भाभियों, सात महीने के भतीजे और फुफेरी बहन की हत्यार कर दी थी। अमरोहा जिले के हसनपुर कस्बे से सटे गांव बावनखेड़ी की शिक्षामित्र शबनम ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि घरवाले आरा मशीन के मजदूर सलीम से उसके प्यार के खिलाफ थे। सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी सजा 15 जुलाई 2010 को अमरोहा के तत्कालीन जिला जज एए हुसैनी ने शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद, सजा को हाईकोर्ट ने भी बरकार रखा। आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी बीते 30 अप्रैल को फांसी की सजा बरकरार रखी। गुरुवार को अमरोहा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश एके पाठक ने दोनों का डेथ वॉरंट जारी किया। डेथ वॉरंट पढ़कर बिलख पड़ी शबनम जेल के अफसरों ने बताया कि गुरुवार रात करीब पौने आठ बजे डेथ वॉरंट मिलने के बाद शबनम को बुलाया गया। जेलर ने उसे डेथ वॉरंट पढ़ने और उस पर साइन करने को कहा। डेथ वॉरंट पढ़ते-पढ़ते शबनम की आंखों में आंसू आ गए और वह बिलखने लगी। उसने रात का खाना भी नहीं खाया। हालांकि, अफसरों ने उसे समझाया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। उसके पास दया याचिका डालने का विकल्प अभी बचा है।