दरोगा भर्ती परीक्षा की अनियमितता के संबंध में आईजी की पत्नी नूतन ठाकुर ने एक याचिका दायर की थी। इससे संबंधित उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष वीके गुप्ता के हलफनामे में गंभीर खामियां सामने आई हैं। वीके गुप्ता ने कोर्ट में पेश अपने हलफनामे में कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में फेल कोई अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल नहीं हुआ, जबकि असलियत कुछ और है। उत्तर प्रदेश भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष वीके गुप्ता ने प्रारंभिक परिक्षा में फेल किसी भी अभ्यर्थी के मुख्य परिक्षा में शामिल नहीं होने का दावा किया है। वहीं, प्रारंभिक परीक्षा में कुछ ऐसे छात्रों के फेल होने की बात सामने आई है, लेकिन उनका चयन हो गया हैं। प्रारंभिक परीक्षा में 74 अंक के साथ अमित कुमार और 53 अंक के साथ रविंद्र यादव प्रारंभिक परीक्षा में फेल थे, लेकिन हलफनामे में अमित को 108 और रविंद्र को 121 अंक के साथ मुख्य परीक्षा के लिए पास दिखाया गया है। एक ही अभ्यर्थी की डबल मार्कशीट जारी इसी तरह बोर्ड द्वारा अजय कुमार यादव के दो मार्कशीट जारी किए गए। इनमें पहले वे सामान्य श्रेणी और बाद में सामान्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रेणी में चयनित दिखाए गए हैं, जबकि हलफनामे में उन्हें ओबीसी श्रेणी में चयनित बताया गया है। क्या है मामला 16 मार्च को बोर्ड ने दरोगा भर्ती का नतीजा घोषित किया। इसमें अजय कुमार सिंह यादव (रोल नंबर 412010691) को ओबीसी श्रेणी का होने के बावजूद 313.41 अंक के साथ सामान्य श्रेणी में चयनित हुआ दिखाया गया। हकीकत में सामान्य श्रेणी का कटऑफ 332.91 अंक था। ऐसी ही अन्य गड़बडिय़ों को लेकर जब अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटा, तो बोर्ड ने गुपचुप ढंग से अपनी वेबसाइट पर जारी सूचनाओं में 23 मार्च की सुबह फेरबदल कर दिया। अभी तक सिर्फ ओबीसी श्रेणी के अभ्यर्थी रहे अजय कुमार सिंह को बोर्ड ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का आश्रित कोटे के तहत क्षैतिज आरक्षण का लाभार्थी बता दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि ओबीसी अभ्यर्थी अजय कुमार सिंह यादव स्वतंत्रता संग्राम श्रेणी में चयनित हुए थे, तो बोर्ड ने पूरी जानकारी 16 मार्च को ही क्यों नहीं दी। दो बार में भर्ती बोर्ड द्वारा जारी किए गए रिजल्ट के बाद बोर्ड की मंशा पर सवाल उठने लाजिमी हो गए।