लखनऊ : उत्तर प्रदेश के नवनियुक्त राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को कहा कि उनका भरपूर प्रयास होगा कि वह उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के बीच सेतु का काम करें। देश में शिक्षा के स्तर में आ रही गिरावट को दूर करने के प्रयासों के तहत वह प्रदेश के शिक्षा के स्तर में सुधार करना चाहते हैं। नाईक ने मंगलवार शाम राजभवन में शपथ ग्रहण के बाद संवाददाताओं से कहा कि एक लम्बे समय तक राजनीतिक जीवन में रहने के बाद अब वह एक नये मोड पर, संवैधानिक पद पर आये हैं और वह संविधान के अनुसार ही काम करेंगे। नाईक ने उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किये जाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं तथा प्रदेश की आम जनता का भी अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि उन्हें राज्यपाल पद के रूप में एक बड़ी जिम्मेदारी दी गयी है और वह खुद भी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के संकल्प के साथ आये हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा पूरा प्रयास होगा कि मैं केन्द्र और उत्तर प्रदेश के बीच सेतु की भूमिका अदा कर सकूं।’ नाईक ने कहा कि हमारे देश में संघीय व्यवस्था है। उन्होंने केन्द्र की गंगा सफाई योजना में राज्य सरकार से सहयोग की अपेक्षा की। साथ ही कहा, ‘उत्तर प्रदेश की समस्याओं में केन्द्र सहयोग करे, मेरा यही प्रयास होगा कि केन्द्र और राज्य के बीच सेतु की भूमिका निभाऊं।’ राजधानी लखनऊ में एक महिला की कथित बलात्कार के बाद हत्या के मामले को लेकर कार्यकारी राज्यपाल के रूप में नियुक्त रहे अजीज कुरैशी के बयान के बारे में पूछे जाने पर नाईक ने कहा कि इस बावत उनके द्वारा कोई भी प्रतिक्रिया दिया जाना सर्वथा उचित नहीं है। यह पूछने पर कि क्या राजभवन के दरवाजे आम आदमी के लिए खुले रहेंगे, नाईक ने कहा ‘मेरा कार्य प्रशासनिक नहीं है।.. यह कार्य निर्वाचित प्रतिनिधि का होता है ..लेकिन हां, सूचना हासिल करने के लिए मैं जनता से संपर्क स्थापित करूंगा।’ मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने संबंधी विधेयक को कुरैशी द्वारा स्वीकृत करने को लेकर भाजपा की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर नाईक ने कहा ‘संविधान के आधार पर ही मुझे काम करना पड़ेगा। यूं तो पुरानी सरकार के कामों की नयी सरकार समीक्षा करती है, पर राजभवन ऐसा नहीं करता है।’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बावत जिसे भी आपत्तियां है, वह न्यायपालिका में जाकर उसका समाधान हासिल करे। नाईक ने यह भी कहा कि वह अपने कार्यकाल में ऐसी नौबत नहीं आने देंगे, जिससे उन पर कोई प्रश्नचिन्ह खडा हो। उनका प्रयास होगा कि राज्यपाल के रूप में कोई गलत निर्णय ना हो। राज्यपाल की शपथ लेने से पूर्व हाल ही में प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर दिल्ली में दिये गये बयान के बारे में नाईक ने स्पष्ट किया कि देश में शिक्षा, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था जैसे कई प्रश्न हैं, पर उनका स्वभाव किसी पर आक्षेप लगाने का नहीं रहा है।