दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद अमित शाह लगातार दूसरी बार बीजेपी प्रेसिडेंट बन सकते हैं। उनका मौजूदा कार्यकाल दिसंबर में खत्म हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरएसएस ने शाह को बहुत मेहनती करार दिया है और उनके दूसरी बार पार्टी प्रेसिडेंट बनने पर मुहर लगा दी है। बता दें कि शाह के प्रेसिडेंट बनने के बाद से बीजेपी ने छह में से चार विधानसभा चुनाव जीते हैं। बिहार की हार के लिए शाह नहीं जिम्मेदार - दिल्ली और बिहार में हार के बाद अमित शाह पर पार्टी के ही कुछ सीनियर लीडर्स ने सवाल उठाए थे। - लेकिन एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, संघ यह सोचता है कि बिहार में महागठबंधन की सामाजिक न्याय की स्ट्रैटजी काम कर गई। इसलिए हार के लिए शाह को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा। - संघ बिहार में हार की वजह का एनालिसिस अपने तरीके से कर रहा है। संघ को शाह पर भरोसा क्यों? - संघ मानता है कि शाह ने बीजेपी को लोकसभा के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में सीधी जीत दिलाई। जम्मू-कश्मीर में भी पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर पीडीपी के साथ गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही। इसके अलावा मणिपुर, केरल और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में पार्टी का असर पहली बार दिखा। यह आने वाले वक्त के लिए बेहतर संकेत हैं। - संघ को मोदी और शाह की जोड़ी पर भरोसा है। - बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर शाह की दूसरी पारी का एलान जल्द ही हो सकता है। शाह का रिपोर्ट कार्ड अमित शाह जुलाई 2014 में पार्टी अध्यक्ष बने थे। इसके बाद बीजेपी ने छह राज्यों में चुनाव लड़े। चार में उसकी सरकार बनी। दो में वह चुनाव हार गई। हालांकि, इससे पहले शाह को लोकसभा चुनाव में यूपी की जिम्मेदारी दी गई थी। वहां पर एनडीए को 80 में से 73 लोकसभा सीटें मिली थीं।