अमेरिका हाई-टेक केमिकल प्रोटेक्टिव सूट भारत को बेचेगा। बायोलॉजिकल और केमिकल वॉर के दौरान भारतीय सैनिक अपनी सुरक्षा के लिए ये सूट पहनेंगे। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन साढ़े 7 करोड़ रुपए (75 मिलियन डॉलर) की इस डील को अपनी मंजूरी दे चुका है। ये दोनों देशों के बढ़ते डिफेंस रिलेशन का सबूत है। पेंटागन ने कांग्रेस को दी जानकारी... - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एक ऑफिशियल ने बताया कि पेंटागन ने कांग्रेस को पहली बार ज्वाइंट सर्विस लाइटवेट इंटिग्रेटेड सूट टेक्नोलॉजी (JSLIST) प्रोटेक्टिव क्लोदिंग की सेल के बारे में जानकारी दी है। इसमें केमिकल प्रोटेक्टिव मास्क भी शामिल है। भारतीय जवान इस मास्क को पहनकर किसी भी केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर वॉर में खुद को सेफ रख सकेंगे। - अमेरिका की डिफेंस सर्विसेस ने इस सूट को तैयार किया है। कॉमन प्रोटेक्टिव सूट JSLIST में सूट, बूट्स और ग्लोव्स शामिल हैं और इन्हें दूषित (contaminated) एरिया में 24 घंटे पहना जा सकता है। ये है JSLIST का पैकेज - JSLIST की 38,034 यूनिट्स तैयार हैं। हर यूनिट में ट्राउजर्स, ग्लोब्स, बूट के पेयर्स और NBC बैग शामिल होंगे। इसके अलावा 854 एप्रन्स, 854 अल्टरनेटिव एप्रन्स, 9509 क्विक डॉफ हुड्स और 114102 M61 फिल्टर्स भी होंगे। इस पूरे पैकेज में 38034 M50 जनरल मास्क भी शामिल होंगे। US पहली बार CBRN सपोर्ट इक्विपमेंट बेचेगा - स्टेट डिपार्टमेंट के एक ऑफिशियल ने बताया, "अमेरिका पहली बार CBRN (केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर) सपोर्ट इक्विपमेंट सेल कर रहा है, जिसके बारे में कांग्रेस को जानकारी दी गई है।" ये सब पहनने के बाद जवान वॉर के दौरान रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स के शिकार नहीं होंगे और उन्हें गंभीर चोट नहीं पहुंचेगी। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन की पहली बड़ी मिलिट्री सेल - ऑफिशियल ने कहा, "भारत के साथ अमेरिका की तेजी से बढ़ती डिफेंस पार्टनरशिप बहुत अहम है, क्योंकि 10 साल पहले तक दोनों देशों के बीच डिफेंस ट्रेड नहीं के बराबर था। पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने भारत के साथ डिफेंस से जुड़ी 10 अरब डॉलर से ज्यादा की डिफेंस डील साइन की है।" 11 मई को ही अमेरिका ने भारत को CBRN सपोर्ट इक्विपमेंट की सेल का एलान किया है। यह पहली बड़ी फॉरेन मिलिट्री सेल है जिसे ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने मंजूरी दी है।