मथुरा जिले के प्रतिष्ठित संस्थान श्री गिर्राज महाराज कॉलेज में आज संस्थान के संस्थापक स्वर्गीय डॉक्टर गोपाल प्रसाद शुक्ला जी की पुण्यतिथि पर उन्हें परिवार एवं संस्थान के स्टाफ तथा समाज के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी डॉ.बृजबाला शुक्ला जी ने उनकी प्रेरणा से "श्री नाथ जी के अष्ट सखा"नामक पुस्तक को प्रकाशित करवा कर उन्हें अपनी भावपूर्ण एवं अनूठी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी यह पुस्तक प्रत्येक बृजवासी के लिए प्रेरणा एवं भक्ति ज्ञान का स्रोत है जिसमें बहुत ही सारगर्भित एवं सरल शब्दों में अष्ट सखाओ का विश्लेषणात्मक विवेचन एवं पदों का हिंदी अनुवाद किया गया है, जो की भक्ति मार्ग पर एक सराहनीय प्रयास है ।पुस्तक का विमोचन पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा जी के द्वारा किया गया उन्होंने पुस्तक को लेकर अपनी खुशी व्यक्त करते हुए अपने विचार प्रस्तुत किये तथा रसखान के प्रसिद्ध छंद "मानुष हों तो वही रसखान बसें मिलि गोकुल गांव के ग्वारन " गाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ऑल इंडिया जर्नलिस्ट श्री रास बिहारी शर्मा जी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शुक्ला जी के साथ अपने अनुभवों को साझा किया तथा पुस्तक के विमोचन से उत्साहित होते हुए इस पुस्तक को ब्रज की ही नहीं बज से बाहर भी ब्रज योगेश्वर श्री कृष्ण एवं उनके सखाओ के विषय में एक मील का पत्थर बताया और कहा कि हम सभी कृष्ण लीलाओं से तो परिचित है परंतु हमें उनके सखाओ के विषय में अल्प ज्ञान है यह पुस्तक हमारे ज्ञान वृद्धि का माध्यम बनेगी। प्रसिद्ध भागवत आचार्य रमाकांत गोस्वामी जी जो की भागवत जगत के प्रकांड ज्ञात एवं ब्रज के मार्तंड हैं उन्होंने अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शुक्ला जी की आध्यात्मिक यात्रा के कुछ वृतांत साझा किया इसके साथ ही उन्होंने पुस्तक की चर्चा करते हुए अष्टयाम सेवा पर प्रकाश डालते हुए श्रीनाथजी की विभिन्न लीलाओं से बृजवासियों को अवगत कराया। इस अवसर पर प्रमुख उद्योगपति श्री कपिल देव उपाध्याय जी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बृज लीलाओं से सभी का परिचय कराया। इस अवसर पर श्री मती बृजबाला शुक्ला जी ने सभी अतिथियों का आभार प्रस्तुत करते हुए इस पुस्तक की रचना का श्रेय अपने स्वर्गवासी पति डॉ गोपाल प्रसाद शुक्ला जी को देते हुए पुस्तक को उन्हें समर्पित किया तथा अपने अनुभव व्यक्त करते हुए बताया कि वह भी एक साधारण घरेलू महिला थी परंतु उन्हें पढ़ने का शौक था जिसे उनके पति ने आगे बढ़ाया तथा स्वयं लिखने की प्रेरणा दी, जिसके क्रम में उन्होंने "श्रीनाथजी के अष्ट सखा " नामक पुस्तक की रचना की इस पुस्तक पर चर्चा करते हुए उन्होंने सूरदास एवं कुंभन दास, बल्लभ दास आदि के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण लीलाओं पर प्रकाश डाला ।कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. शुक्ला जी के सुपुत्र डॉ.आशुतोष शुक्ला , आदित्य शुक्ला एवं केसी गौङ जी द्वारा किया गया। इस अवसर पर श्री पंकज तिवारी,श्री अवधेश रावत ऐडवोकेट, श्री मनोज शर्मा, श्री महेश अग्रवाल, श्री रेवती रमन शर्मा, श्री हेमराज सिंह, श्री ईश्वर चंद्र शर्मा एडवोकेट, श्री राजेंद्र शर्मा , श्री दीपक शर्मा , श्री सुरेश चंद्र शर्मा एडवोकेट , श्री राहुल शर्मा एडवोकेट, डॉ ब्रजेश शर्मा , श्री राधारमण शर्मा आदि तथा समस्त परिवारजन एवं संस्थान का स्टाफ मौजूद रहा।