पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में दूसरे टेस्ट में लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लिश टीम को रौंदने के बाद टीम इंडिया के क्रिकेटरों का मनोबल सातवें आसमान पर है। हो भी क्यों न, 28 साल बाद उसी सरजमी पर पटखनी जो दी। इसी आत्मविश्वास से ओतप्रोत धोनी की सेना आज साउथम्पटन में तीसरे टेस्ट में अपराजेय बढ़त हासिल करने उतरेगी। भारत ने लॉर्ड्स पर दूसरा टेस्ट 95 रन से जीता जबकि नॉटिंघम में पहला टेस्ट ड्रा रहा था। अब महेंद्र सिंह धोनी की टीम के पास मेजबान को उसी की मांद में खदेड़ने का सुनहरा मौका है। लॉर्ड्स पर जीत से पहले भारत ने पिछले 15 टेस्ट में विदेशी सरजमीं पर जीत दर्ज नहीं की थी। भारत ने विदेशी धरती पर आखिरी टेस्ट 2011 में वेस्टइंडीज में जीता था। भारत ने वह सीरीज 1-0 से जीती थी। धोनी हालांकि अतीत में जीने में विश्वास नहीं रखते लेकिन इतिहास से सबक लिया जा सकता है। भारत ने इस टेस्ट सीरीज से पहले यही सोचकर राहुल द्रविड़ को टीम का मेंटर बनाया था। द्रविड़ उस टीम का हिस्सा थे जिसने 2002 में पांच टेस्ट की सीरीज खेली थी। उस समय सौरव गांगुली की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने पहला टेस्ट जीता लेकिन तीसरे और पांचवें टेस्ट के साथ सीरीज हार गई थी। उस दौरे की तरह इस सीरीज में किसी टेस्ट के बीच अभ्यास मैच नहीं है। चालीस दिन का यह दौरा लंबा है जिसमें भारत को आत्ममुग्धता के अलावा गेंदबाजों को अधिक कार्यभार देने से भी बचना होगा। शुक्रवार को शिखर धवन, विराट कोहली और रोहित शर्मा ने बल्लेबाजी का कड़ा अभ्यास किया। धवन और कोहली अभी तक कोई कमाल नहीं कर सके हैं जबकि रोहित को अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली है। मैच से पहले दो दिन उन्होंने काफी अभ्यास किया जिसके मायने हैं कि उन्हें इस मैच में उतारा जा सकता है। पांचवें गेंदबाज का चयन भी पेचीदा होगा। पहले दो टेस्ट में स्टुअर्ट बिन्नी ने सिर्फ 20 ओवर फेंके और दोनों स्पैल पहली पारी में डाले। मेजबान ने ट्रेंट ब्रिज में सिर्फ एक बार बल्लेबाजी की और लॉर्ड्स पर बिन्नी ने दूसरी पारी में एक ओवर भी नहीं फेंका। धवन और मुरली विजय से भी गेंदबाजी कराई गई थी। रोहित अनियमित स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं और सात बल्लेबाजों के साथ चार गेंदबाजों के फार्मूले को अपनाने पर उन्हें उतारा जा सकता है। पांचवें गेंदबाज को नहीं उतारने से हालांकि यह संकेत जा सकता है कि भारत अब रक्षात्मक खेल पर उतारू है। पांचवें गेंदबाज के रहने से प्रमुख गेंदबाजों पर मानसिक दबाव कम होता है। उन्हें राहत देने के लिये जडेजा और बिन्नी के 20 ओवर जरूरी हैं। भारत के अनुभवहीन गेंदबाजों ने अभी तक इंग्लैंड के अधिक अनुभवी गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन किया है। लॉर्ड्स की हरी भरी पिच पर जहां जेम्स एंडरसन और स्टुअर्ट ब्राड नाकाम रहे, वहीं भारतीयों ने इसका पूरा फायदा उठाया। पांचवें गेंदबाज को लेकर भारत की दुविधा का हल आर अश्विन के रूप में निकल सकता है जिन्हें अभी तक मौका नहीं दिया गया है। लॉर्ड्स पर जीत के बाद धोनी ने स्वीकार किया था कि वह दो स्पिनरों को लेकर उतरने की नहीं सोच रहे हैं। ऐसा लगता नहीं कि कप्तान के रवैये में कोई बदलाव आएगा। दूसरी ओर इंग्लैंड के पास यह सीरीज में वापसी का एकमात्र मौका है। टेस्ट से दो दिन पहले रविंद्र जडेजा पर आईसीसी की आचार संहिता के तहत लेवल दो का अपराध घटाकर लेवल एक का कर दिया गया था। दूसरी ओर जेम्स एंडरसन की सुनवाई एक अगस्त को है और अगर उन्हें कड़ा दंड मिलता है तो मौजूदा सीरीज में यह उनका आखिरी टेस्ट हो सकता है। इंग्लैंड टीम को ऐसे खिलाड़ी की दरकार है जो अपने प्रदर्शन से प्रेरित कर सके। कप्तान एलेस्टेयर कुक और इयान बेल जैसे सीनियर बल्लेबाज को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी ।