राज्यसभा के नेता अरूण जेटली ने गुजरात की केजी गैस परियोजना से जुड़ी कैग की रिपोर्ट पर चर्चा कराने की कांग्रेस की मांग से असहमति जताते हुए आज दावा किया कि विपक्षी पार्टी गैर मुद्दा को मुद्दा बनाकर ध्यान हटाने की रणनीति अपना रही है। हालांकि बाद में सरकार की ओर से कहा गया कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दिये गये नोटिस पर सभापति का जो भी फैसला हो, वह उसे स्वीकार करेगी। जेटली ने राज्यसभा में कहा कि कैग की रिपोर्ट पर गुजरात विधानसभा की लोक लेखा समिति विचार कर रही है और इसलिए इस मुद्दे को यहां सदन में उठाना गलत उदाहरण बनेगा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तृणमूल कांग्रेस के नोटिस से ध्यान हटाने वाली रणनीति के तहत यह मुद्दा उठाया है। इसका प्रतिवाद करते हुए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह आरोप सही नहीं है और हमने इसके लिए चार पांच दिन पहले ही नोटिस दिया है। कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी अगस्तावेस्टलैंड मुद्दे पर भी चर्चा चाहती है और वह भाग नहीं रही है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने भी जेटली पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सदन के नेता ने विशिष्ट अंदाज में गुमराह करने वाले कई बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि चर्चा के लिए आज नहीं उन्होंने पांच दिन पहले नोटिस दिया है। आजाद ने कहा कि यह सवाल परियोजना के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ऋण के रूप में लिए गए हजारों करोड़ रूपए का है जो बर्बाद हो गया है। इस मुद्दे के राज्य का विषय होने के जेटली के दावे का प्रतिवाद करते हुए आजाद ने कहा कि तेल एवं गैस उत्खनन केन्द्रीय विषय है। शर्मा ने कहा कि यह साफ है कि अपतटीय गैस उत्खनन केंद्र का विषय है और हम जो मुद्दा उठा रहे हैं वह राष्ट्रीय महत्व का है। बैंकों से हजारों करोड़ों रूपए के ऋण लिए गए थे।इसी दौरान कांग्रेस सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आसन के समक्ष आ गए। उसके जवाब में भाजपा सदस्यों ने भी नारेबाजी की। सदन में हंगामा थमते नहीं देख उपसभापति पी जे कुरियन ने बैठक दोपहर बाद तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर तीन बजे बैठक फिर शुरू होने पर आजाद ने यह मुद्दा दोबारा उठाते हुए जानना चाहा कि इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने के बारे में सरकार का क्या रूख है। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि चर्चा के नोटिस मुद्दे पर सभापति जो भी निर्णय करेंगे, सरकार उसे मंजूर करेगी। सरकार के इस आश्वासन के बाद सदन में सामान्य ढंग से कामकाज होने लगा।