पार्लियामेंट के विंटर सेशन के दूसरे दिन शुक्रवार को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा हो रही है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, ‘सरकार का कोई धर्म नहीं होता। सरकार संविधान से चलती है।’ जेटली के बयान को देश में कथित तौर पर बढ़ते इन्टॉलरेंस के मुद्दे पर चल रही बहस से जोड़कर देखा गया। जब जेटली ने यह टिप्पणी की तब पीएम नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे। बता दें कि सरकार ने संविधान के 65 साल पूरे होने के मौके पर संसद में दो दिन की विशेष चर्चा रखी है। गुरुवार को इस पर लोकसभा में चर्चा हुई थी। राज्यसभा में शुक्रवार को चर्चा का पहला दिन है। फिलहाल कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद स्पीच दे रहे हैं। पांच प्वाइंट्स पर जेटली ने साधा कांग्रेस-सोनिया पर निशाना 1. संविधान में योगदान जेटली ने कहा- मैं आजादी के 6 साल बाद पैदा हुआ इसलिए मैं संविधान निर्माण में कोई रोल नहीं निभा सका। उन्होंने ने कहा- हमारी सभी संस्थाओं का योगदान रहा है। मुझ जैसे लोगों का संविधान बनाने में कोई योगदान नहीं है। लेकिन श्यामाप्रसाद मुखर्जी का योगदान था। वे उस पार्टी के मेंबर रहे हैं जिस पार्टी से मैं आता हूं। क्यों किया जिक्रः गुरुवार को लोकसभा में कांग्रेस प्रेसि़डेंट सोनिया गांधी ने कहा था कि वे लोग आज संविधान की माला जप रहे हैं जिनकी इसके निर्माण में कोई भूमिका नहीं थी। 2. इन्टॉलरेंस पर आज कोई भी टीवी पर आता है और बयान देता है इसके बाद वह इन्टॉलरेंस का मुद्दा बन जाता है। सबसे बड़ा अधिकार जीने का अधिकार है। क्यों किया जिक्रः देश में इस वक्ट इन्टॉलरेंस का मुद्दा गरमाया है। तीन दिन पहले ही एक्टर आमिर खान ने बयान दिया था कि उनकी पत्नी कहती हैं कि क्या उन्हें देश छोड़कर चले जाना चाहिए। आमिर के बयान पर लोकसभा में होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि डॉ. आंबेडकर को भारत में अपमान का सामना करना पड़ा लेकिन कभी भी उन्होंने देश छोड़ने की बात नहीं सोची। 3. याकूब मेमन पर जब आतंकी घटनाओं के एक आतंकी को सजा दी जाती है तो कुछ लोग उसे (याकूब मेमन) को शहीद करार देते हैं। आज डॉ. आंबेडकर होते तो वह इस पर क्या रिएक्ट करते? क्यों किया जिक्रः जुलाई के अंत में जब मुंबई में सिलसिलेवार धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दी गई थी तो विरोधी पार्टियों के कई नेताओं ने विरोध किया था। सपा के एक नेता ने याकूब को शहीद तक करार दे दिया था। 4. गोहत्या कानून पर जेटली ने कहा- यदि आज डॉ. आंबेडकर आर्टिकल 44 ( इसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात गई है) को प्रपोज करते तो यह हाउस कैसे रिएक्ट करता? अगर डॉ. आंबेडकर 2015 में आर्टिकल 48 (इसमें गोहत्या रोकने की बात कही गई है) प्रपोज करते तो हाउस के मेंबर्स का रिएक्शन कैसा होता? इसी भावना के तहत नेहरू, इंदिरा ने भी राज्यों को लिखा कि कानून बनाओ। नॉर्थ-ईस्ट, बंगाल, केरल को छोड़कर हर राज्य ने कानून बनाया गया। क्यों किया जिक्रः केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद देश के के कई राज्यों में गोहत्या पर बैन लगाया गया। सबसे पहले महाराष्ट्र और उसके बाद हरियाणा में गोहत्या पर बैन लगाया गया। इस पर जमकर विवाद भी हुआ था। 5. इमरजेंसी और इंदिरा गांधी पर जेटली ने कहा- जिन लोगों ने इमरजेंसी लगाई। जिन्होंने इमरजेंसी का सपोर्ट किया वे आज संविधान की बात करते हैं। इमरजेंसी के दौरान विरोधियों नेताओं को अरेस्ट किया गया। न्यूजपेपर्स पर सेंसरशिप की गई। संविधान में संशोधन किया गया। ठीक इसी तरह 1993 में जर्मनी में भी हुआ था। जीने का अधिकार छीनने वाले आज इन्टॉलरेंस की बात करते हैं। क्यों किया जिक्रः कांग्रेस मोदी सरकार पर इन्टॉलरेंस का मुद्दा उठाते रही है। इन्टॉलरेंस पर संसद में बहस के लिए कांग्रेस ने नोटिस भी दे रखा है।