हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने कहा कि कैग की रिपोर्ट से वाड्रा डीएलएफ भू लाइसेंस सौदे में उनके द्वारा की गई कार्रवाई सही साबित होती है जबकि उन्हें अभी भी आरोप पत्र के लांछन का दंश झेलना पड़ रहा है। राज्य की पूर्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान इस अधिकारी ने स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्रा. लि. ( राबार्ट वाड्रा के मालिकाना हक वाली) और डीएलएफ के बीच भूमि सौदे को अवैध करार देते हुए उसे रद्द करने का आदेश दिया था । हालांकि, हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस भूमि सौदे में वाड्रा को क्लीन चिट दे दी थी। कैग रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त हुए खेमका ने ट्वीट किया, ‘ कैग की रिपोर्ट से वाड्रा-डीएलएफ भूमि लाइसेंस सौदे में मेरी कार्रवाई सही साबित हुई है, लेकिन आरोप पत्र के लांछन का दंश अभी भी झेल रहा हूं।’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि असली अपराधी ही मेरे बारे में फैसला कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका दर्द और पीड़ा राजनीति को स्वच्छ करने में मदद करेगा। मौजूदा समय में राज्य के परिवहन आयुक्त खेमका ने तीसरे ट्वीट में कहा, ‘ लाइसेंस और परमिट की काला बाजारी सार्वजनिक धन की लूट है। क्या काला बाजारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’ नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में रॉबर्ट वाड्रा की स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी सहित कुछ बिल्डरों को हरियाणा की पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान ‘अनुचित लाभ’ दिए जाने की आलोचना की गई है । हरियाणा विधानसभा में कल पेश 2013-14 की कैग रिपोर्ट में सरकारी अंकेक्षक ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को आड़े हाथों लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग ने सैद्धान्तिक मंजूरी देते समय और लाइसेंसों के औपचारिक स्थानांतरण के समय यह सुनिश्चित नहीं किया कि कुल लागत पर 15 प्रतिशत से अधिक का लाभ सरकार के खाते में जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे डेवलपर्स को सिर्फ जमीन बेचने से ही भारी मुनाफा हुआ और वहीं सरकार को एक अच्छी खासी राशि का नुकसान उठाना पड़ा। भाजपा और कांग्रेस के अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों ने पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को रीयल्टी कंपनी डीएलएफ के साथ भूमि सौदे में अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था।