मुंबई : भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचक रही शिवसेना ने भाजपा के साथ दरार की अटकलों को विराम देने का प्रयास करते हुए कहा कि नीतिगत निर्णयों पर उसके रूख को गठबंधन की वरिष्ठ सहयोगी के खिलाफ ‘बगावत’ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार के फैसलों पर उनकी पार्टी के रूख का कारण चिंता तथा गरीबों का कल्याण है और इसे अन्य संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। केंद्र की भाजपा नीत सरकार और महाराष्ट्र सरकार में शिवसेना शामिल है। उद्धव यहां 9 मार्च को महाराष्ट्र विधानसभा के शुरू होने वाले बजट सत्र से पूर्व शिवसेना विधायकों के साथ बैठक से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब मैं (नीतिगत मुद्दों पर) कोई निर्णय करता हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने (भाजपा के खिलाफ) बगावत का झंडा उठाया है। मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए ऐसा रूख अपनाया ताकि लोगों की अपेक्षाएं पूरी की जा सकें तथा लोग इस सरकार और पूर्ववर्ती सरकार में अंतर देख सकें। ठाकरे ने कहा कि भूमि अधिग्रहण विधेयक में कुछ बदलाव का प्रस्ताव किया गया है और शिवसेना इसके खिलाफ है। ‘‘शिवसेना भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में नहीं है। लेकिन विधेयक के कुछ प्रावधान किसानों के हितों के खिलाफ हैं। हम इसका विरोध करते रहेंगे।