नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा केंद्र सरकार को अध्यादेशों के जरिए कानून लागू कराने के खिलाफ आगाह करने के बाद शुक्रवार को सरकार ने कहा कि यह विपक्षी पार्टियों के लिए भी एक नसीहत थी और उन्हें संसद को सामान्य रूप से चलने देना होगा ताकि उचित चर्चा एवं बहस के बाद कानून पारित किए जा सकें । गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति के संबोधन में की गई टिप्पणियों के बाबत संवाददाताओं के सवालों से कन्नी काटते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, ‘‘उन्होंने (मुखर्जी) कहा कि यह अच्छा होगा कि संसद सुचारू ढंग से चले और इसी तरह मुद्दों पर फैसला करें। हम राष्ट्रपति के विचारों से सहमत हैं।’’ बार-बार अध्यादेशों के इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए मुखर्जी ने कहा था, ‘‘बगैर चर्चा के कानून लागू कराने से संसद की कानून बनाने की भूमिका पर प्रभाव पड़ता है। यह लोगों द्वारा संसद के प्रति व्यक्त किए गए विश्वास का उल्लंघन करता है। यह न तो लोकतंत्र के लिए अच्छा है और न ही उन कानूनों से जुड़ी नीतियों के लिए।’’ एक बार पहले भी राष्ट्रपति ने संसद में कार्यवाही बाधित होने के खिलाफ टिप्पणी की थी। संसद के सुचारू संचालन के लिए विपक्ष के सहयोग की मांग करते हुए नायडू ने कहा कि यदि वे किसी मुद्दे पर ऐतराज जताना चाहते हैं तो उन्हें जताना चाहिए और सरकार इसके खिलाफ नहीं है। नायडू ने कहा, ‘‘अध्यादेश लाना एक असाधारण चीज है। अमूमन, अध्यादेश लाना अच्छा नहीं होता और मैं यह संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर कह रहा हूं। लेकिन, असाधारण परिस्थितियों में, यदि सदन न चलने दिया जाए, तो देश का विकास नहीं रुक सकता।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘लोग विकास चाहते हैं और विकास की भूख है। लिहाजा, अध्यादेश लाना जरूरी है। मैं सभी विपक्षी पार्टियों से अपील करता हूं कि वे राष्ट्रपति की सलाह को समझें। हम प्रभावी तरीके से काम करें, बहस करें और फैसला करें।’’