मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के खंडित जनादेश के बाद सरकार गठन को लेकर राजनीतिक सरगर्मी अभी जारी है और तस्वीर अब भी साफ नहीं है। वहीं, शिवसेना ने मंगलवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर जमकर निशाना साधा है। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे एक आलेख में शिवसेना ने चाचा-भतीजा (शरद पवार और अजित पवार) और एनसीपी पर जमकर वार किया है। इसमें कहा गया है कि एनसीपी का बीजेपी को समर्थन का प्रस्ताव केवल भ्रष्ट नेताओं को बचाने के लिए दिया गया है। महाराष्ट्र में भाजपा को समर्थन देने के एनसीपी के फैसले पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने मंगलवार को आरोप लगाया कि शरद पवार नीत संगठन द्वारा की गई पेशकश यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ‘घोटाले में दागी’ उसके नेताओं को पूर्ण संरक्षण मिल जाए। शिवसेना ने अपने मुख्सपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा कि कल तक, भाजपा एक सांप्रदायिक पार्टी थी और राकांपा यह कहकर उसका मजाक उड़ाती थी कि वह हाफ पैंट पहनने वाले लोगों की पार्टी है। उन्होंने हाफ पैंट पहनने के संघ के आदेश का मजाक बनाकर हिन्दुत्व का अपमान किया। क्या अब वे वास्तव में महाराष्ट्र को स्थिरता उपलब्ध कराने को लेकर चिंतित हैं? वे सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों के सामने उनके भ्रष्टाचार की पोल न खुले। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को अवसरवादी करार देते हुए शिवसेना ने कहा कि उनकी पार्टी, नेता विपक्ष का दर्जा रखने की योग्यता भी हासिल नहीं कर पाई। मुखपत्र में कहा गया कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने राकांपा के खिलाफ जबर्दस्त प्रचार किया था और इसे ‘स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट’ पार्टी करार दिया था जिसने महाराष्ट्र को लूटा है। विनोद तावड़े (भाजपा नेता) ने कांग्रेस-राकांपा के घोटालों का खुलासा करने और भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने की धमकी दी थी। और अब, एक पार्टी जिसके पास नेता विपक्ष का दर्जा रखने की भी योग्यता नहीं है, वह इस तरह की मौकापरस्ती का सहारा ले रही है। भाजपा को एकीकृत महाराष्ट्र के प्रति शिवेसना की प्रतिबद्धता को याद दिलाते हुए संपादकीय में कहा गया कि विदर्भ क्षेत्र में भाजपा को मिले जबर्दस्त बहुमत का मतलब यह नहीं है कि उस क्षेत्र के लोगों ने अलग राज्य के लिए जनादेश दिया है। शिवसेना ने कहा कि भाजपा को विदर्भ क्षेत्र में बड़ा जनादेश मिला जिससे उसकी सीट संख्या काफी बढ़ गई। लेकिन हम इस बात पर विश्वास नहीं कर सकते कि यह जनादेश अलग विदर्भ राज्य के लिए है। वहां भाजपा के विधायक हो सकते हैं, लेकिन वहां से सांसद शिवसेना के हैं जो एकीकृत महाराष्ट्र के लिए कटिबद्ध हैं। उनका रुख अटल है और कभी नहीं बदलेगा।