नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच शिखर वार्ता से पहले चीन ने एक बार फिर सीमा पर दागागिरी दिखाते हुए घुसपैठ की है। रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख के चुमुर में चीनी सेना ने फिर घुसपैठ की है और उसके कुछ सैनिक इस इलाके में घुस आए है लिहाजा इस इलाके में तनाव बढ़ गया है। यह देखते हुए भारत ने चुमुर में जवानों की तादाद बढ़ा दी है। भारत ने 1 हजार आईटीबीपी और 1 हजार सेना के जवान तैनात किए हैं। भारत और चीन के सैनिकों में धक्का-मुक्की भी खबरें आ रही है। चुमुर में भारतीय सेना की और टुकड़ियां भेजी गई है। चुमुर में भारतीय सीमा में मौजूद झोपड़ी को लेकर तनाव बढ़ गया है। गौर हो कि वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनातनी अभी भी जारी है। जानकारी के अनुसार, लद्दाख में चीनी और भारतीय सेनाएं अब भी आमने सामने हैं। बुधवार की रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में चीनी सैनिक और चरवाहे घुसपैठ करने के बाद अब भी भारतीय सीमा में बने हुए हैं। वहीं, चुमुर में सौ से अधिक भारतीय सैनिकों का घेराव जारी है। तीन सौ अधिक चीनी सैनिकों ने 100 भारतीय सैनिकों का घेराव कर रखा है। अब तक इस मसले को लेकर दो बार हुई फ्लैग मीटिंग बेनतीजा रही है। ऐसे में अगली फ्लैग मीटिंग का इंतजार किया जा रहा है ताकि इस समस्या का कोई समाधान निकल सके। गौर हो कि बीते चार सितंबर से भारत-चीन सीमा पर तनाव जारी है। वहीं, चीनी घुसपैठ पर भारत सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में गतिरोध पिछले कई दिनों से जारी है। जानकारी के अनुसार, चीनी खानाबदोशों ने वहां जारी सिंचाई परिरयोजना कार्य पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए चीनी सेना की मदद से भारतीय सरजमीन पर खेमे गाड़ दिए हैं। लद्दाख से भाजपा सांसद थुपस्तान चेवांग ने इस कार्रवाई को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के पहले ‘चीनी सेना की नीच हरकत’ करार दिया है। चीनी खानाबदोश इस साल पांच सितंबर और छह सितंबर की दरम्यानी रात में भारतीय सरजमीन में तकरीबन 500 मीटर अंदर घुस गए। सूत्रों ने बताया कि भारत के सैनिक भी वहां स्थल पर डट गए हैं और चीनी ‘रेबोस’ को काम रोकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। इससे इलाके में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। दोनों पक्षों की सेनाएं अपने असैनिकों की रक्षा के लिए बैनर ड्रिल कर रही हैं। यह इलाका तिब्बत के कैलाश-मानसरोवर के रास्ते में पड़ता है जिसके बारे में भारत चीनी अधिकारियों से आग्रह करता रहा है कि इस इलाके को तीर्थयात्री मार्ग के रूप में खोल दें क्योंकि यह इलाका कठिन और जोखिम भरा नहीं है।