नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने लोकसभा में कहा कि एक शांतिपूर्ण और समृद्ध विश्व के निर्माण में अपनी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए भारत पश्चिम एशिया से लेकर पूर्वी एशिया तक अपने पड़ोस पर विशेष ध्यान देगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्राजील यात्रा के संबंध में लोकसभा और राज्यसभा में अपनी ओर से दिए गए बयान में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को कहा कि अपने कार्यकाल की इस छोटी सी अवधि में ही हमारी सरकार ने इस नीति को सक्रिय एवं निर्णायक तरीके से अपनाया है। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस के यह जोर देने पर बयान दिया कि प्रधानमंत्री को छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन पर सदन में एक बयान देना चाहिए जिसमें वह भाग लेने गए थे। कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सुषमा ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में पांच ब्रिक्स शिखर सम्मेलनों में भाग लिया लेकिन कभी संसद में कोई बयान नहीं दिया गया। बयान देने से पूर्व सुषमा ने कहा, ‘बयान देने की (ब्रिक्स शिखर बैठक पर) कभी कोई परंपरा नहीं रही है। आज हम एक नयी परंपरा शुरू कर रहे हैं।’ सुषमा ने कहा कि प्रधानमंत्री ब्रिक्स शिखर बैठक के नतीजों से बेहद संतुष्ट हैं और समूह के सदस्य देशों ब्राजील, रूस, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के साथ ही दक्षिण अमेरिकी देशों के नेताओं के साथ हुई मुलाकात से भी वह संतुष्ट हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के बारे में व्यापक विचार विमर्श किया जिस पर ब्रिक्स देशों के मध्य व्यापक सहमति है। उन्हेंने विशेष रूप से आतंकवाद से निपटने में सशक्त अंतरराष्ट्रीय एकता एवं भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया है जिससे अफगानिस्तान और पश्चिम एशिया में व्याप्त मौजूदा अशांति को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्व में व्याप्त राजनीतिक उथल पुथल , आर्थिक मंदी तथा सामान्य तौर पर व्याप्त अनिश्चितता के कारण ब्रिक्स पर और बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है कि वह इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सामूहिक अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को सुदृढ़ करे। सुषमा ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के तहत एक मुक्त, कारगर एवं नियम आधारित वैश्विक कारोबार व्यवस्था का पूर्ण समर्थन करता है। हालांकि हमें यह भी अपेक्षा है कि यह विकासशील देशों तथा गरीबों की विशेष जरूरतों, विशेषकर खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में उनकी आकांक्षाओं को पूरा करेगा जिस पर हम अडिग हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र में वर्ष 2014 के उपरांत विकास एजेंडे में गरीबी समाप्त करने पर अवश्य ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने वैश्विक अभिशासन संस्थाओं में सुधारों की अत्यावश्यकता एवं महत्व पर बल दिया जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी शामिल है। विदेश मंत्री ने कहा कि ब्रिक्स शिखर बैठक में घोषित ‘द न्यू डेवलपमेंट बैंक’ की पहली अध्यक्षता पांच वषरे के लिए भारत के पास होगी, इसलिए हमें इस बैंक को एक स्वरूप प्रदान करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।