प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन के रूस दौरे पर सोची पहुंच गए हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, उन्हें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका चौथा रूस दौरा है। यहां वे पुतिन के साथ अनौपचारिक मुलाकात में हिस्सा लेंगे। इससे पहले मोदी 27-28 अप्रैल को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से वुहान शहर में भी अनौपचारिक मुलाकात कर चुके हैं। इस दौरान दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर बात हुई थी। विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह ने भास्कर से बातचीत में बताया कि एशिया की इन तीन ताकतों की बढ़ती नजदीकी अच्छे संकेत हैं। इस पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। अमेरिका से काउंटर के लिए रूस का साथ जरूरी: रहीस सिंह, विदेश मामलों के जानकार 'तीन वजहों से रूस का साथ जरूरी' 1) "भारत के डिफेंस का करीब 70% लॉजिस्टिक्स अभी भी रूस से ही आता है। लिहाजा रूस को वर्तमान हालात में दरकिनार नहीं किया जा सकता।" 2) "अमेरिका से बेहतर डिप्लोमैटिक काउंटर करने के लिए रूस का साथ जरूरी है।" 3) "चीन-रूस की अच्छी दोस्ती है। लिहाजा रूस की नजदीकी से चीन के साथ भी बेहतर रिश्ते हो सकते हैं।" 'कुछ हो न हो इस तिकड़ी की चर्चा जरूर होगी' - "आज पूर्व, दक्षिण-पूर्व, खाड़ी देशों को देखें तो भारत पर लोगों का एक ऐसा भरोसा कायम होता जा रहा है कि वह ताकत हासिल करके भी इसका गलत इस्तेमाल नहीं करेगा। ऐसे में हर देश उसका साथ चाहेगा।" - "चीन के साथ भारत की अनौपचारिक वार्ता हो चुकी है, रूस के साथ वार्ता होने वाली है। जो भारत का चीन-रूस के साथ ट्राईएंगल होगा, उसकी दुनिया में चर्चा जरूर होगी। इसे एशिया में एक नई राजनीतिक व्यवस्था के रूप में देख सकते हैं।" - चीन के साथ मुलाकात के बाद चीनी अखबारों में भारत के साथ बेहतर होते संबंधों की बात लिखी थी। 'पाक पर भी बनेगा दबाव' - "पाकिस्तान इसलिए आगे-आगे होता है क्योंकि चीन उसके साथ है। हालांकि, चीन उसकी आतंकी गतिविधियों को सपोर्ट नहीं करता। रूस के भारत के प्रति सकारात्मक रवैये से पाक पर ज्यादा शिकंजा कसेगा।" 'अनौपचारिक मुलाकात, ताकि बातचीत का माहौल बने' - "दरअसल अनौपचारिक वार्ता किसी ट्रीटी या एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं बनती। बातचीत के लिए एक बड़ा स्पेस बनता है। इससे हम कूटनीतिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। लंबे वक्त से भारत, रूस से कटा-कटा है। जितना हम अमेरिका के करीब आते गए, रूस दूर होता गया।" - "आज दो पोल बन गए हैं, एक- एशिया-पैसिफिक में जापान, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका। दूसरा- गल्फ में चीन, रूस, सीरिया, ईरान है। भारत को इसमें बैलेंस बनाना है, क्योंकि उसे किसी से लड़ना नहीं है। लिहाजा प्रतिनिधिमंडल के साथ जाने के बजाय अनौपचारिक वार्ता करना ज्यादा सही लगता है। इसमें मुद्दे तय नहीं होते। लेकिन जब देशों के प्रमुख बैठते हैं तो बातचीत का माहौल तैयार होता है।" पुतिन दो हफ्ते पहले ही चौथी बार बने राष्ट्रपति, अब मोदी को न्योता - न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रूस में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहा, "स्थानीय समयानुसार (सोमवार) दोपहर 1 बजे पुतिन मोदी के साथ लंच करेंगे। उम्मीद है कि इसके बाद वे कुछ घंटों तक एक साथ रहेंगे और कुछ अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे।" - "मोदी-पुतिन की यह मुलाकात बेहद अहम और कुछ हटकर है। दरअसल, पुतिन ने खुद मोदी को बुलाया है। वो भी तब जब उन्हें चौथी बार रुस का राष्ट्रपति बने हुए 2 हफ्ते हुए हैं।"