आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने को लेकर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार सुबह एनडीए से अलग होने का एलान कर दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद पार्टी ने लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नोटिस दिया। एक नोटिस वाईएसआर कांग्रेस की तरफ से भी दिया गया। हालांकि, हंगामे की वजह से इस पर विचार नहीं हो सका और कार्यवाही स्थगित हो गई। उधर, इस मुद्दे पर कांग्रेस और लेफ्ट टीडीपी के साथ नजर आ रही हैं। - 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद पहली बार कोई पार्टी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई है। इसे स्पीकर सुमित्रा महाजन ने स्वीकार नहीं किया और सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस टीडीपी के टी. नरसिम्हन और वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बा रेड्डी ने दिया था। - सुमित्रा महाजन ने कहा- "प्रस्ताव को सदन के समक्ष रखने के लिए वह बाध्य है, लेकिन इसके लिए सदन को व्यवस्थित होना चाहिए। सदन का जो माहौल है, उसमें उनके लिए प्रस्ताव का समर्थन और विरोध करने वाले सदस्यों की गिनती करना संभव नहीं है।" - बता दें कि इस दौरान अलग-अलग पार्टियों के सांसद सदन में हंगामा और नारेबाजी कर रहे थे। उधर, टीडीपी और वाईएसआर ने कहा कि वे सोमवार को फिर से अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देंगे। - इससे पहले यानी गुरुवार को वाईएसआर कांग्रेस ने लोकसभा सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव लाने को नोटिस सौंपा था। कैसे लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव? -संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम सदन के 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। - टीडीपी नेता सीएम रमेश ने कहा, “सोमवार तक हम अलग-अलग पार्टियों के 54 सांसदों से हस्ताक्षर ले आएंगे और फिर प्रस्ताव को और दमदार तरीके से आगे बढ़ाया जाएगा।”