राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई पर फैसला फिलहाल टल गया है। अपने कार्यकाल के अंतिम दिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सथाशिवम ने राजीव गांधी के हत्यारों का मामला संवैधानिक बेंच को सौंप दिया है। संवैधानिक बेंच में 5 जज होते हैं। मामला राजीव गांधी के हत्यारों मरुगन, पेरारीवलन और संथन की समय से पहले रिहाई का है। तमिलनाडु सरकार ने तीनों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था। दरअसल, साल 2008 में तमिलनाडु सरकार ने रविचंद्रन की रिहाई से मना किया था। वहीं तमिलनाडु सरकार ने बाकी तीनों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया। इस साल 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मरुगन, पेरारीवलन और संथन की सज़ा-ए-मौत को उम्रकैद में तब्दील किया था। इसके लिए दया याचिका पर हुई 11 साल की देरी को वजह बताया गया था। इसके बाद इस साल 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों की मौत की सजा को आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी दया याचिका पर अत्यधिक और बिना कोई वजह बताए की गई देरी उनकी सजा को कम करने का एक वैध आधार है। 19 फरवरी को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने कोड ऑफ क्रिमिनल प्रक्रिया के तहत इन तीनों की समय से पहले रिहाई की घोषणा कर दी थी। इस निर्णय से भौचक केंद्र सरकार इसके खिलाफ 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई और कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी।