सरकार ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पारित होने की उम्मीद जताते हुए कहा कि 32 में से 30 दल इसके समर्थन में हैं। सरकार को इस महत्वपूर्ण विधेयक पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया का इंतजार है क्योंकि वह विधेयक को लेकर उसकी चिंताओं को दूर करते हुए उसे साथ लेकर चलना चाहती है। विधेयक को अगले सप्ताह राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। संसदीय मामलों के सचिव एम वैंकेया नायडू ने कहा कि हम इसे पारित कराने के प्रयास कर रहे हैं। आम जनता का रख लगभग एकतरफा, इसके पक्ष में है। नायडू ने कहा कि कल सर्वदलीय बैठक के बाद उन्होंने व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा व लोकसभा में कांग्रेस के नेताओं गुलाम नबी आजाद व मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत की है। इन नेताओं ने जीएसटी व उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर उनसे चर्चा की। कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर पार्टी नेतृत्व से बात करना चाहते हैं और उन्होंने सरकार को एक या दो दिन में जवाब देने के लिए समय मांगा। इसके बाद सरकार उनकी चिंताओं को दूर करना चाहेगी। नायडू ने कहा कि प्रमुख मुद्दों पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। नायडू ने दावा किया कि सर्वदलीय बैठक में आए कुल 32 राजनीतिक दलों में से 30 इस विधेयक के समर्थन में थे और वे इसे जल्दी पारित करवाना चाहते हैं। बसपा तथा राकांपा ने पहले ही इस विधेयक को समर्थन दिया है और वे इसे मौजूदा सत्र में पारित करवाने के पक्ष में हैं। सरकार चाहती है कि कांग्रेस भी इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित करवाने में साथ रहे क्योंकि शुरआती रूप से यह कांग्रेस का ही विधेयक है। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस को साथ लेना चाहते हैं। यही हमारा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा में इस विधेयक का विरोध नहीं किया लेकिन राजनीतिक कारणों के चलते राज्यसभा में इसका विरोध किया। राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हम जीएसटी के पक्ष में हैं। यह इसी सत्र में पारित होना चाहिए। अगर कोई अच्छा सुझाव आता है तो सरकार को इसे शामिल करने को तैयार होना चाहिए। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार का कहना है कि जीएसटी के कार्यान्वयन से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। यह देशहित में है। इसलिए हम इसका समर्थन करेंगे। सूत्रों ने कहा कि कर सुधारों को लेकर कांग्रेस की चिंताएं पहले ही सात से घटकर अब तीन रह गई हैं। इसमें यह भी शामिल है कि राजस्व निरपेक्ष दर अधिकतम 18 प्रतिशत होनी चाहिए और संविधान संशोधन विधेयक में इसका उल्लेख हो। सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा कांग्रेस चाहती है कि राज्यों को सभी पांच साल के लिए राजस्व में होने वाली कमी के लिये 100 प्रतिशत भरपाई की जाए।