30 जून को रिटायर हो रहे डीजीपी अरविंद कुमार जैन ने सोमवार को पुलिस के तीन अधिकारियों को बेस्ट इनवेस्टीगेशन के लिए सम्मानित किया। इन पुलिस अधिकारियों ने उन मामलों को अंजाम तक पहुंचाया है, जिसने प्रदेश में अपराध और बर्बरता के मायने बदल कर रख दिए थे। राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, सेवानिवृत्त निरीक्षक, पहला पुरस्कार 50 हजार रुपए वर्ष 2008 में ग्राम बावनखेड़ी थाना हसनपुर जनपद अमरोहा में एक ही परिवार के सात लोगों की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। लतीफ उल्ला ने अज्ञात के खिलाफ दहरीर दी। इसकी जांच तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक राजेंद्र प्रासद ने की। उन्होंन खुलासा किया कि हत्या शौकत की बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर की है। इलेक्ट्रानिक सर्विलांस और वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए साक्ष्य एकत्र किए। न्यायालय ने आरोपियों को दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। उपनिरीक्षक ब्रजेश कुमार शर्मा, थाना इंदिरापुरम, गाजियाबाद, दूसरा पुरस्कार 35 हजार रुपए वर्ष 2010 में जयवीर सिंह ने थाना इंदिरापुरम गाजियाबाद में डकैती की एफआईआर अज्ञात के खिलाफ दर्ज कराई। इसकी जांच उपनिरीक्षक बृजेष कुमार शर्मा ने की। उन्होंने 24 घंटे के भीतर पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। न्यायालय ने अभियुक्तों को दोषी पाते हुए चार साल और चार महीने जेल की सजा दी। दो-दो हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। धनंजय सिंह कुशवाहा, क्षेत्राधिकारी, रूदौली, जनपद-फैजाबाद तीसरा पुरस्कार 25 हजार रुपए वर्ष 2011 में लक्ष्मण निवासी ग्राम इचैलिया थाना पटरंगा जनपद फैजाबाद ने अज्ञात के खिलाफ बेटी की रेप और हत्या की शिकायत दर्ज कराई। क्षेत्राधिकारी धनंजय सिंह कुशवाहा ने घटना की जांच कर आरोपी को दबोचा। डीएनए परीक्षण कराते हुए अभियुक्त के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर की। कोर्ट ने दोष साबित होने पर उसे आजीवन कैद 35 हजार रुपए जुर्माना लगाया। चयन के लिए बनी थी समिति इसी साल पुलिस मुख्यालय ने निर्णय लिया था कि प्रत्येक वर्ष बेस्ट इनवेस्टीगेशन के लिए तीन पुलिसकर्मियों को पुरस्कृत किया जाएगा। पुरस्कार चयन के लिए अपर पुलिस महानिदेशक(अपराध) की अध्यक्षता में चार सदस्यों की समिति बनाई गई। इसमें पुलिस महानिरीक्षक(स्थापना) पुलिस महानिरीक्षक (एसटीएफ), पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) सदस्य सचिव और अपर पुलिस अधीक्षक(अपराध) सदस्य उपसचिव बनाए गए थे।