तमिलनाडु में सत्ताधारी एआईएडीएमके के बागी गुट में शामिल हुए 18 विधायकों को असेंबली स्पीकर पी धनपाल ने सोमवार को डिसक्वालिफाई कर दिया। ये सभी विधायक पार्टी के बागी नेता और शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन का सपोर्ट कर रहे थे। दिनाकरन गुट हाल ही में ओ पन्नीरसेल्वम और सीएम पलानीस्वामी गुटों के एक होने से नाराज था। पलानीस्वामी ने रद्द किए थे दिनाकरन के अप्वाइंटमेंट्स... - जयललिता की 5 दिसंबर 2016 को बीमारी के बाद मौत हो गई थी। इसके बाद AIADMK दो गुटों में बंट गई थी। शशिकला ने पन्नीरसेल्वम को हटाकर पलानीस्वामी को सीएम बनाया था। - शशिकला के जेल जाने के बाद पार्टी के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी दिनाकरन ने पार्टी में कई पोस्ट पर अप्वॉइंटमेंट्स किए। इसे लेकर सीएम पलानीस्वामी नाराज थे। सीएम ने दिनाकरन के किए अप्वॉइंटमेंट्स रद्द कर दिए थे। इसके बाद दोनों गुटों के नेताओं की बातचीत शुरू हुई थी। पन्नीरसेल्वम ने रखी थी दिनाकरन-शशिकला को हटाने की मांग - पन्नीरसेल्वम गुट की मांग थी कि शशिकला और दिनाकरन समेत जया के परिवार के किसी भी मेंबर को पार्टी में ना रखा जाए। - पलानीस्वामी भी पार्टी और सरकार में शशिकला और दिनाकरन की दखलंदाजी से परेशान थे। इसलिए, उन्हें पन्नीरसेल्वम की मांग मानने में कोई दिक्कत नहीं थी। - पलानीस्वामी ने 10 अगस्त को पार्टी विधायकों की एक मीटिंग बुलाई थी। इसमें फैसला किया गया कि दिनाकरन और शशिकला को पार्टी से दूर रखा जाए, ताकि दोनों गुट एक हो सकें। इसके बाद से ही दिनाकरन ने बगावत कर दी थी। दिनाकरन गुट ने की थी पलानीस्वामी को हटाने की मांग - पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम गुटों के एक होने के बाद दिनाकरन गुट ने 22 अगस्त को गवर्नर सीएच विद्यासागर राव से मुलाकात की थी। - उन्होंने पलानीस्वामी को सीएम पद से हटाने की मांग की थी। उनका कहना था कि सीएम उनका भरोसा खो चुके हैं। - बता दें कि इससे एक दिन पहले ही पलानीस्वामी और पन्नीरसेल्वम गुट एक हुए थे। पन्नीरसेल्वम को डिप्टी सीएम बना दिया गया था। क्या है तमिलनाडु विधानसभा की स्थिति - जयललिता के निधन के बाद एआईएडीएमके के पास 234 मेंबर वाली विधानसभा में 134 विधायक थे। डिसक्वालीफाई हुए 18 विधायकों और स्पीकर को छोड़कर उसके पास 115 विधायक बचे हैं। - 18 विधायकों के डिसक्वालिफिकेशन के बाद विधानसभा में अब 215 सीट बची हैं। इसमें जयललिता के निधन के बाद खाली हुई आरके नगर सीट भी शामिल है। ऐसे में पलानीस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए स्पीकर को छोड़कर सिर्फ 107 विधायकों के समर्थन की जरूरत है और इसे वह आसानी से हासिल कर सकते हैं। - डीएमके के पास 89 सीट हैं। उसकी सहयोगी कांग्रेस के पास 8 और आइयूएमएल के पास 1 सीट है।