देश में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की बढ़ती कीमतों पर पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। इससे टैक्स कितना लगेगा यह तय हो जाएगा। जीएसटी काउंसिल इस बारे में तमाम राज्यों से अपील करेगी। बता दें कि पिछले हफ्ते भी प्रधान ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों की डेली रिवीजन पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। देश में फ्यूल प्राइस तीन साल में सबसे ज्यादा हो गई हैं। प्रधान ने कहा था कि उनका मंत्रालय चाहता है कि पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए क्योंकि इससे एक तय टैक्स ही इन फ्यूल प्रोडक्ट्स पर लगेगा। और क्या कहा था प्रधान ने... - मुंबई में पेट्रोल का रेट 79.48 रुपए प्रति लीटर हो चुका है। इसके पहले 2014 में पेट्रोल इतना महंगा हुआ था। - पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार भी अलर्ट नजर आई। पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने अफसरों की हाईलेवल मीटिंग की थी। बाद में प्रधान ने कहा था कि सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में लाने पर विचार करेगी। ताकि, इन पर लगने वाले टैक्स का लेवल तय किया जा सके। - प्रधान ने बढ़ती कीमतों पर दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि दुनियाभर में पेट्रोल की कीमतें बढ़ी हैं, जिसका असर भारत में भी हुआ। - प्रधान ने कहा था कि डायनमिक प्राइस का फाॅर्मूला काफी ट्रांसपेरेंट है, जिसे बदला नहीं जा सकता। इसका फायदा फौरन ग्राहकों को दिया जाता है। - उन्होंने कहा कि पिछले 3 महीने में पेट्रोल की कीमतें दुनियाभर में बढ़ी हैं। यूएस में आए तूफान की वजह से भी रेट्स बढ़े हैं। डायनमिक फ्यूल प्राइस फॉर्मूला - 16 जून से सरकार ने डायनमिक फ्यूल प्राइस का फॉर्मूला अपनाया था, जिसमें डेली बेसिस पर पेट्रोल और डीजल की कीमते रिव्यू हो रही हैं। यह फैसला लागू होने के बाद से 1 जुलाई के बाद दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 7.29 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ चुकी हैं। दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें बढ़कर 70.38 रुपए प्रति लीटर हो गई हैं। इससे पहले अगस्त 2014 में दिल्ली में पेट्रोल महंगा होकर 70.33 रुपए प्रति लीटर पहुंच गया था। इसी तरह से डीजल की कीमतों में 1 जुलाई के बाद से 5.36 रुपए प्रति लीटर तक की बढ़ोत्तरी हुई है। 6 महीने में क्रूड में 1.36% की गिरावट - भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें इंटरनेशनल मार्केट पर डिपेंड हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें मुख्य तौर पर क्रूड और रुपए पर डिपेंड हैं, लेकिन पिछले 6 महीने में क्रूड में 1.36% की गिरावट रही है। वहीं, रुपया पिछले 6 महीने में 2.94% मजबूत हुआ है। इसके बाद भी इंडियन बॉस्केट में क्रूड की कीमतें बढ़ रही हैं।