थल सेना की दक्षिणी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अशोक सिंह का कहना है कि पश्चिमी सीमा पर यदि जम्मू-कश्मीर जैसे हालात होते हैं तो दक्षिणी कमान उसका जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है। दक्षिणी कमान के अधीन आने वाले 11 राज्यों में सेना पूरी तरह सतर्क है, विशेष प्लान बना रखा है। इन राज्यों में चाहे आर्मी एरिया हो या सिविल इलाका, सेना प्रोफेशनल तरीके से कार्रवाई करने में समक्ष है। कोई घुसपैठ करता है तो उसे खत्म करके ही दम लेंगे। गौरतलब है कि 1965 में राजस्थान की सीमा से पाकिस्तान ने घुसपैठ किया था। जिसके कारण दोनों देशों में युद्ध हुआ। इसमें भारत ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए जीत हासिल की थी। इस युद्ध की तबाही की तस्वीरें आज भी यहां देखने को मिलती हैं। 1965 के युद्ध में मिली जीत की स्वर्ण जयंती भारतीय थल सेना पचास साल पहले वर्ष 1965 के युद्ध में पाकिस्तान को परास्त करने की स्वर्ण जयंती मना रही है। इस खास मौके पर 44 साल पहले वर्ष 1971 के लोंगेवाला युद्ध की गौरवशाली यादों को जीवंत करने के लिए थल सेना की कोणार्क कोर की ओर से नवनिर्मित जैसलमेर वॉर म्यूजियम में इस युद्ध के गर्व भरे क्षणों को चित्रों व हथियारों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है। बॉर्डर पर बीएसएफ पूरी मुस्तैदी से तैनात बॉर्डर पर वैसे बीएसएफ पूरी मुस्तैदी से तैनात है, लेकिन इन इलाकों में सेना भी पूरी तरह हर समय तैयार है। सिंह जैसलमेर में सोमवार को युद्ध स्मारक के उद्घाटन के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसलमेर में नई डिविजन की तैनाती में अभी दो से तीन साल का समय लगेगा। इसकी तैयारियां की जा रही हैं। इससे जम्मू-कश्मीर जैसे इलाकों में तैनात रहने वाले जवानों को यहां रहने का अवसर मिलेगा।