लखनऊ. यूपी में भ्रष्ट अफसरों का इतिहास रहा है। नोएडा अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ इनकम टैक्स की कार्रवाई से भ्रष्ट अफसरों की चर्चा फिर से होने लगी है। इन भ्रष्ट अफसरों में आईएएस की तादाद सबसे ज्यादा है। इसमें प्रमुख रूप से नीरा यादव, अखंड प्रताप सिंह और प्रदीप शुक्ला शामिल हैं। इनके अलावा इस लिस्ट में यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर अरुण कुमार मिश्र भी हैं। इन लोगों को जेल भी जाना पड़ा। यूपी में आए दिन भ्रष्ट अफसरों की पोल खुलती है। आईएएस अफसरों से जुड़े काले कारनामे भी बिल्कुल हाई प्रोफाइल होते हैं। ऐसे में ज्यादातर तो कार्रवाई नहीं होती है लेकिन कुछ आईएएस को जेल भी जाना पड़ा। इस बाबत नजर डालते हैं, घोटालों में कौन अफसर किस किरदार में रहा... यादव सिंह जिसने नोयडा को ही बेच दिया इनकम टैक्स के छापों से सुर्खियों में आए यादव सिंह अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण हमेशा प्रमोशन पाते रहे। यहां तक वह जूनियर इंजीनियर (जेई) से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे के चीफ इंजीनियर की पोस्ट तक पहुंच गए। यह उनकी हनक का ही असर था कि प्रमोशन देने में सरकारी नियम-कानून भी ताक पर रख दिए गए। उन्हें बिना डिग्री के ही प्रमोट कर दिया गया। नोएडा अथॉरिटी में तैनाती का फायदा उठाते हुए वे अपनी पत्नी के नाम पर रजिस्टर्ड फर्म को सरकारी दर पर बड़े-बड़े व्यावसायिक प्लॉट आवंटित करा देते थे। इसके बाद इन्हीं प्लॉट को वह बिल्डरों को काफी ऊंचे दामों में बेच देते थे। अरुण मिश्रा फर्जी डिग्री से बना यूपीएसआईडीसी का चीफ इंजीनियर यूपीएसआईडीसी के चीफ इंजीनियर अरुण कुमार मिश्र पर कई घोटालों में शामिल होने का आरोप लगा था। उनकी 10वीं की मार्कशीट और बाकी डिग्री भी फर्जी निकली। दिलचस्प बात यह है कि आरोपी इंजीनियर ने जब 28 साल की नौकरी कर ली, उसके बाद यह तथ्य सामने आया। हाईकोर्ट ने इस इंजीनियर की सभी पदों पर नियुक्तियां रद्द करने के आदेश दे दिए हैं। अरुण कुमार मिश्र के दस्तावेजों के मुताबिक, उन्होंने 1976 में घाटमपुर के श्री गांधी विद्यापीठ इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास की। हाईस्कूल मार्कशीट में उनका रोल नंबर 511719 है, लेकिन बोर्ड और कॉलेज के दस्तावेजों में यह रोल नंबर किसी अरुग्य कुमार मिश्र के नाम दर्ज है।