लखनऊ। अपनी रणनीति में जासूसी का नया आयाम जोड़ते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा), सत्ताधारी समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यों की गोपनीय जानकारी हासिल करने में जुटी है। बसपा, वर्तमान सरकार द्वारा चलाई जा रही बड़ी योजनाओं और यदि उसमें कोई फर्जीवाड़ा है तो उसके साथ-साथ सपा नेताओं की आंतरिक गुटबाजी और नाराजगी से सम्बंधित सारी जानकारी को गुपचुप तरीके से एकत्र करवाने में लगी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसपा का शीर्ष नेतृत्व अपने शासन काल में वफादार रहे आलाअधिकारियों के माध्यम से अखिलेश सरकार के छोटे-बड़े सारे कार्यों पर पैनी नजर रखे हुए है। ज्ञात हो कि बसपा सरकार के अनेक वफादार अधिकारी वर्तमान सरकार में भी अहम पदों पर तैनात हैं। बसपा का शीर्ष नेतृत्व अपने उन्ही खास वफादारों के बल पर सरकार और समाजवादी पार्टी की अहम जानकारियों को एकत्र करवा कर सरकार पर निर्णायक धावा बोलने की रणनीति पर काम कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर बसपा ने भारतीय जनता पार्टी के हाईटेक चुनाव प्रचार का पीछा करने की जगह सूबे की राजनीति में ही अपनी मौजूदगी को धार देने का मन बनाया है। इसके लिए वह, भाजपा और सपा पर एक साथ हमला बोलकर अपनी ऊर्जा को जाया नहीं होने देना चाहती है। उसका मत है कि एक साथ दोनों (सपा व भाजपा) पर हमला बोलने से उसकी धार कम हो जाएगी और आशानुरूप परिणाम मिलने में शंका है। इसी सोच के कारण अब बसपा ने, सत्तारूढ़ समाजवादी सरकार और पार्टी को घेरने में अपनी पूरी ताकत झोंकने का मन बनाया है। इसी निर्णय के तहत बसपा नेतृत्व ने अपने शासन काल के अतिविश्वास पात्र अधिकारियों की सूची तैयार कर उन्हें वर्तमान सरकार से जुड़ी अहम जानकारियां सुलभ कराने का जिम्मा दिया है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के उच्च कई कद्दावर कतिपय बड़े नेताओं को अधिकारियों से सम्पर्क साधकर मिशन को पूरा करने के लिए लगाया गया है। सूत्र बताते हैं कि चूंकि बसपा की ज्यादातर पहचान आन्दोलन करने वाली पार्टी के रूप में नहीं है लिहाजा सरकार को घेरने के लिए उसने वर्तमान सरकार की योजनाओं में संभावित गड़बड़ झाले को ही खंंगालकर उसे अपना हथियार बनाने का निश्चय किया है। अब तक उसके विश्वासपात्र अधिकारी कितनी सूचना दे चुके हैं अथवा देने वाले हैं? फिलहाल इस सवाल पर सूत्र कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। मिली जानकारी के अनुसार बसपा का शीर्ष नेतृत्व गत महीने सपा के हुए राष्टï्रीय सम्मेलन में मंच से गद्दारों की सूची तैयार किए जाने वाली बात को भी अपने ढंग से जांचने में लगी है। वह सपा से नाराज होकर बसपा से जुडऩे वाले नेताओं की संभावना पर भी कार्य कर रही है।