चुनाव आयोग की चली, तो अब उम्मीदवार भोले-भाले मतदाताओं की आंखों में धूल नहीं झोंक पाएंगे। नई योजना के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर चुनाव चिह्न और उम्मीदवारों के नामों के अलावा उनकी तस्वीरें भी लगाई जाएंगी। दरअसल, कई उम्मीदवार अपने विरोधी के नाम से एक से ज्यादा उम्मीदवार खड़े कर देते हैं। नतीजा ये निकलता है कि विरोधी उम्मीदवार के वोट बंट जाते हैं और पहले उम्मीदवार को इसका फायदा मिलता है। मई में हुए लोकसभा चुनाव में भी इसकी बानगी देखने को मिली। छत्तीसगढ़ के महासमंद से कांग्रेस के उम्मीदवार थे अजीत जोगी, जिनके सामने बीजेपी ने चंदूलाल साहू को खड़ा किया था। अजित जोगी ने चंदूलाल साहू के नाम से 10 उम्मीदवार खड़े कर दिये। मथुरा में भी यही हुआ और बीजेपी उम्मीदवार हेमा मालिनी को अपने नाम के 6 उम्मीदवारों का सामना करना पड़ा। दिल्ली के आरके पुरम से आम आदमी पार्टी की शाजिया इल्मी के खिलाफ भी उन्हीं के नाम की उम्मीदवार थीं, जिन्हें काफी वोट मिले थे। शाजिया इल्मी ये चुनाव 400 से भी कम वोटों से हार गई थीं। इसी कवायद पर लगाम कसने के लिए चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर उम्मीदवारों की तस्वीरें लगाने पर विचार कर रहा है। फिलहाल एक्सपर्ट कमेटी ईवीएम की नई डिजाइन तैयार कर रही है। सबकुछ ठीकठाक रही तो आयोग की नई योजना जम्मू-कश्मीर और झारखंड विधानसभा चुनाव से ही लागू हो जाएगी।