अखिलेश-मुलायम का झगड़ा अब चुनाव आयोग पहुंच गया है। शुक्रवार को दोनों पक्षों की बात सुनकर आयोग ने फैसला सुरक्षित भी रख लिया है। अब एक दो दिन में कभी भी आयोग फैसला सुना सकता है। ऐसे में अगर साइकिल सिम्बल फ्रीज करता है तो फिर दोनों ही खेमों को चुनाव में जहां नुकसान उठाना पड़ सकता है तो वहीं मुलायम-अखिलेश को भविष्य में कुछ फायदे भी हो सकते हैं। आयोग के फैसले से पहले समाचार24 ने एक्सपर्ट्स श्रीधर अग्निहोत्री और योगेश श्रीवास्तव से जाना कि मुलायम या अखिलेश को इससे कितना फायदा या नुकसान होगा। अखिलेश यादव को क्या होगा नुकसान - टेक्नोलॉजी पर भरोसा करने वाले अखिलेश यादव के कैम्पेन के विडियो बन चुके हैं। - सीएम अखिलेश यादव साइकिल सिम्बल के साथ ही करीब 5 एप लांच कर चुके हैं। जिसमे से समाजवादी अखिलेश और समाजवादी पार्टी का एप सबसे ज्यादा डाउनलोड किया जा चूका है। - ऐसे में अगर साइकिल सिम्बल फ्रीज होता है तो फिर यह सारे विडियो और एप्प फिर से बनवाने पड़ेंगे। - वहीं, साइकिल को ही प्रमोट करने के लिए सीएम अखिलेश यादव ने गरीबों में श्रम विभाग के द्वारा 8 लाख के करीब साइकिल भी बंटवाई हैं। - जबकि साइकिल के लिए ही नीदरलैंड से आईडिया लेकर पूरे यूपी में 3 हजार किमी का साइकिल ट्रैक भी बनवाया। - साथ ही आगरा से लेकर इटावा तक एशिया का सबसे बड़ा 197 किमी का साइकिल ट्रैक तैयार किया गया है। यह सारा काम चुनाव में किसी काम नहीं आएगा। - वहीं, 17 जनवरी को फर्स्ट फेज की नोमिनेशन होना है। इस फेज में 15 जिलों की 73 सीटों पर चुनाव होना है। - चूंकि फर्स्ट फेज में पश्चिमी यूपी में चुनाव होना है। यहां 24 सीट सपा के पास है जबकि अन्य दलों के पास 49 सीट हैं। - अखिलेश अगर अलग चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें नुकसान होगा, क्योंकि उन्हीं के कार्यकाल में मुजफ्फरनगर दंगा हुआ था। - इस मुद्दे को भुनाने में भाजपा और बसपा अभी भी लगी हुई हैं। जबकि पूर्वांचल की 28 जिलों की 170 सीटों पर सपा ने 106 सीटें जीती थीं। - वहीं, अखिलेश का ग्राफ पूर्वांचल और मध्य यूपी में ज्यादा बढ़ा है। ऐसे में अखिलेश के लिए चुनौती होगी कि अब नए सिम्बल को इतनी जल्दी कैसे पॉपुलर करेंगे। अखिलेश को क्या होगा फायदा - जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भले ही अखिलेश को नुकसान हो लेकिन उनकी छवि एक बड़े लीडर के तौर पर उभर कर सामने आएगी। - अखिलेश के कार्यकाल में उन पर साढ़े चार सीएम का आरोप लगता रहा। इस लड़ाई के बाद वह उस छवि से बाहर आ जाएंगे। - यही नहीं पार्टी के सीनियर लीडर से वह अब आगे भी निकल गए हैं। - भविष्य में उनकी यह छवि राजनीति में उनके लिए महत्त्वपूर्ण रहेगी। मुलायम को क्या होगा नुकसान - 25 साल पहले जिस पार्टी को मुलायम सिंह यादव ने खडा किया उसके ज्यादातर पुराने साथी भी उन्हें छोड़कर जा चुके हैं। - परिवार के भी ज्यादातर सदस्य अखिलेश के पक्ष में खड़े हैं। केवल शिवपाल यादव की फैमिली ही मुलायम के साथ है। - प्रदेश में 8 से 10 प्रतिशत यादव वोट है, जोकि अब अखिलेश यादव के साथ-साथ अन्य पार्टियों में भी बंटेगा। - वहीं, प्रदेश का 19 फीसदी मुसलमान भी समाजवादी पार्टी में अलगाव होने के बाद अलग-अलग दलों की तरफ मूव करेगा। जिसका सबसे ज्यादा फायदा बसपा को मिल सकता है। - 2012 में सपा को 66 फीसदी यादव वोट मिला था, जबकि मुसलमानों का 39 फीसदी वोट मिला था। जो सपा के टूटने के बाद अलग दलों में खिसकेगा। - मुलायम सिंह यादव के साथ भी शुरू से ही साइकिल सिम्बल जुड़ा हुआ है। हर छोटे बड़े पार्टी के झंडे पर साइकिल निशान पड़ा हुआ है। ऐसे में इतनी जल्दी नए सिम्बल पर चुनाव में उतरना नुकसान दायक होगा। - मुलायम ने जो सपा से प्रत्याशी घोषित किये थे उसमें से 80 फ़ीसदी से ज्यादा अखिलेश गुट के साथ जा चुके हैं। ऐसे में कम समय में जिताऊ कैंडिडेट ढूंढने में भी मुश्किल होगी। मुलायम को क्या होगा फायदा - मुलायम चुनावों में यह कह कर कि हम तो अखिलेश को सीएम बना रहे थे, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी बोलकर सहानुभूति बटोर सकते हैं। - अगर एक बाप के तौर पर मुलायम को देखा जाए तो मुलायम का बेटा अखिलेश स्ट्रांग छवि के साथ उभर कर राजनीति में आएंगे। - मुलायम को इटावा, मैनपुरी, कन्नौज और फर्रुखाबाद में इन्हें चुनाव में मिलाजुला असर देखने को मिलेगा। यहां से भी यूथ अखिलेश के साथ जाने की सम्भावना है, जबकि जो बुजुर्ग वोटर है वह मुलायम के साथ जाएंगे।