पाकिस्तान से सटी 3323 किमी लंबी सीमा अभेद बनेगी। सीमा पर कंक्रीट, लेजर बीम, रडार और सैटेलाइट सेंसर की दीवार खड़ी की जाएगी। इसकी जिम्मेदारी बॉर्डर मैनेजमेंट डिविजन को दी गई है। तय समय पर काम पूरा करने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। पंजाब में 45 जगहों पर और कश्मीर में 6.9 किलोमीटर लंबी लेजर वॉल पहले ही लगाई जा चुकी है। - जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमा पाकिस्तान से लगती है। इन चारों जगहों पर भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक सुरक्षा दीवार बनाई जाएगी। - पंजाब और जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर पक्की दीवार तो गुजरात के रण और सिर क्रीक में लेजर वॉल और लेजर बीम से बॉर्डर सील होगी। - कैमरे, रडार और सैटेलाइट से कंट्रोल होने वाले सेंसर लगाए जाएंगे। इससे छोटी-छोटी हरकत की जानकारी कुछ सेकंड में मिल जाएगी। - सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में पक्की दीवार बनेगी। यह 10 फीट ऊंची होगी। सैटेलाइट सेंसर कोहरे में भी सीमा पर पैनी नजर रखेंगे। - बीएसएफ फिलहाल पंजाब में 45 स्थानों पर प्रायोगिक तौर पर लेजर वॉल से सुरक्षा कर रहा है। जम्मू-कश्मीर में सेंसर और लेजर से युक्त 6.9 किमी लंबी दीवार बनाने का प्रयोग सफल रहा है। पाक बॉर्डर पर सेना के सामने कई चुनौतियां - भारत के चार राज्यों जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात की सीमाएं पाकिस्तान के बॉर्डर से लगी हुई हैं। - इन 4 राज्यों के आईजी ने भास्कर को चुनौतियों के बारे में बताया। इनमें अजय तोमर, आईजी बीएसएफ गुजरात सीमांत, अनिल पालीवाल, आईजी बीएसएफ पंजाब सीमांत, बीआर मेघवाल, आईजी बीएसएफ राजस्थान सीमांत, विकास चंद्रा, आईजी बीएसएफ श्रीनगर सीमांत शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर - LoC को छोड़कर बॉर्डर की लंबाई 210 किमी है। 18,000 फीट तक ऊंची दुर्गम चोटियां हैं। यहां पारा शून्य से 50 डिग्री नीचे तक जाता है। - इस ऊंचाई पर सांस लेना मुश्किल। सर्दी ऐसी कि उंगली की चमड़ी ट्रिगर पर रखते ही जम जाती है। दुश्मन के साथ आतंकवाद की दोहरी चुनौती। पारंपरिक उपाय: दोहरी तारबंदी, गश्ती के वाहन, सामान ढोने के लिए खच्चर। तकनीकी उपाय : स्नो स्कूटर, हाई टेरेन व्हीकल्स, फ्लड लाइट, कोबरा वायर। गुजरात - यहां दलदल और नमक के सफेद रण में 508 किमी का बॉर्डर है। 262 किमी के दलदल में तारबंदी भी नहीं। जीरो लाइन पिलर भी नहीं दिखते। - सफेद रण में दिशा पता नहीं चलती। नमकीन हवा चमड़ी गलाती है। फेफड़ों में नमक भर जाता है। क्रीक में पानी के कारण बॉर्डर का पता ही नहीं चलता। पारंपरिक उपाय: पानी, जमीन और दलदल में लड़ने में दक्ष क्रोकोडाइल कमांडो। तकनीकी उपाय : तैरती बोओपी, होवरक्राफ्ट, कोबरा वायर (करंट वाली तारबंदी)। राजस्थान - कुल बॉर्डर 1037 किमी है। यहां 50 डिग्री सेल्सियस टेम्परेचर में जूते जल जाते हैं। रेत के 80-90 फीट ऊंचे शिफ्टिंग वाले टीले। बड़े-बड़े जानकार भी भटक जाते हैं। - यहां तारबंदी रेत में दब जाती है। बॉर्डर का पता नहीं चलता। गर्मी में जूते जल जाते हैं। सांप-बिच्छू का डर अलग। पारंपरिक उपाय : पैदल, ऊंटों से गश्त, तारबंदी पर घंटियां बांधने जैसे प्रयोग। तकनीकी उपाय : फ्लड लाइट, सैंड स्कूटर, हाइटेक कम्पास, 90 फीट ऊंचे टावर। पंजाब - कुल बॉर्डर 553 किमी। नदी-नालों में बहता खतरा। हर नदी-नाला सर्पिलाकार। रावी नदी 11 बार तो सतुलज 9 बार बॉर्डर से इन व आउट होती है। घुसपैठ का खतरा यहीं से। - सर्दियों में घना कोहरा। आतंकी घुसपैठ के साथ हथियारों और ड्रग्स की तस्करी रोकना सबसे बड़ी चुनौती। तकनीकी उपाय : लेजर वॉल, थर्मल इमेजर, कैमरे, फ्लड लाइट, कोबरा वायर। पारंपरिक उपाय : पैदल, घोड़ों, बाइक, जिप्सी व बोट से गश्त, नावों पर नाके।